साजिश के शिकार बने भाजपा नेता कृष्णा शाही के पिता की भी बम मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद से ही चैनपुर पंचायत में टकराव का दौर शुरू हो गया था। इसी टकराव के बीच कृष्णा शाही राजनीति में सक्रिय हुए। लोक जन शक्ति क्रांतिकारी पार्टी के प्रभारी प्रदेश अध्यक्ष के पद से शुरू हुआ इनका राजनीतिक सफर बाद में भाजपा तक पहुंचा। ये भाजपा के व्यवसायिक प्रकोष्ठ के प्रदेश प्रभारी के पद तक पहुंचे। लेकिन इसी बीच मंगलवार की रात साजिश के तहत इन्हें जहर देकर हत्या करने के बाद शव को बसवरिया मांझा गांव में स्थित कुएं में फेंक दिया गया।
बताया जाता है कि चैनपुर गांव निवासी कृष्णा शाही के पिता मैनेजर शाही का कुछ लोगों से जमीन संबंधित विवाद चल रहा था। इसी विवाद को लेकर 1994 में मैनेजर शाही की बम मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्या का आरोप आइपीएफ पर लगा था। बताया जाता है कि अपने पिता की हत्या के बाद कृष्णा शाही तथा उनके भाई उमेश शाही का भी माले से टकराव बढ़ गया था। जिसके कारण दोनों भाई घर छोड़ कर सिवान में रहने लगे थे। बाद में कुछ आर्थिक स्थित मजबूत हुई तो ये दोनों भाई अपने गांव आ गए तथा 2001 में कृष्णा शाही राजनीति में सक्रिय हो गए। इसी साल ये लोकजन शक्ति पार्टी क्रांतिकारी के प्रभारी प्रदेश अध्यक्ष बने। साल 2009 में ये हथुआ विधानसभा क्षेत्र से विधान सभा चुनाव के मैदान में उतरे। लेकिन सफलता नहीं मिली। बाद में ये भाजपा में चले गए तथा भाजपा व्यवसायिक प्रकोष्ठ के प्रदेश प्रभारी बने। इसी बीच इनके भाई उमेश शाही चैनपुर पंचायत के मुखिया चुने गए। बीते पंचायत चुनाव में चैनपुर पंचायत में मुखिया पद महिलाओं के लिए आरक्षित होने पर कृष्णा शाही की पत्नी चुनावी मैदान में उतरी थी। जिसमें वे चुनाव जीत कर मुखिया पद पर चुनी गईं।