Sun, 24 Apr 2016
दो दशक पूर्व मांझा थाना क्षेत्र के पीपरा गांव में हुए हत्या के प्रयास के मामले में कांड अंकित करने के बाद सो चुकी पुलिस करीब दो दशक के बाद आखिरकार जाग गयी। दो दशक के बाद जगी पुलिस ने कांड में नामजद दो आरोपियों के विरुद्ध दो दशक के बाद वारंट की मांग की है।
जानकारी के अनुसार मांझा थाना क्षेत्र के पीपरा गांव में आपसी विवाद को लेकर कुछ लोगों को मोहम्मद इसामुल्लाह पर 11 अगस्त 1996 को चाकू से जानलेवा हमला कर उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया था। घटना को लेकर घायल व्यक्ति के बयान पर मांझा थाने में कांड संख्या 187/96 प्राथमिकी दर्ज की गयी। जिसमें पीपरा गांव के नूर आलम तथा मोहम्मद मनीर आलम को नामजद आरोपी बनाया गया। कांड अंकित किये जाने के बाद पुलिस इस घटना को भूल गयी। दो दशक तक यह आपराधिक मामला पुलिस की संचिका में गुम रहा। इस अवधि में घायल व्यक्ति के परिवार के लोग पुलिस अधिकारियों के पास दौड़ लगाते-लगाते थक गये। लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं हुई। करीब दो दशक के बाद जब पुलिस ने लंबित कांडों की सूची को देखा तो पुलिस प्रशासन की नींद खुली। एसपी के निर्देश के बाद मामले की छानबीन नए सिरे से शुरु की गयी। छानबीन के दौरान आरोपियों के विरुद्ध साक्ष्य आने के बाद पुलिस ने कांड में नामजद दोनों आरोपियों के खिलाफ कोर्ट से वारंट की मांग की। करीब दो दशक तक पुलिस की सुस्ती को लेकर यह मामला इन दिनों चर्चा में बना हुआ है।