Tue, 16 May 2017 03:08 AM (IST)
सिधवलिया प्रखंड क्षेत्र स्थित सभी बैंकों से कैश गायब हो गया है। आरबीआइ द्वारा जिले में कैश नहीं भेजने से सभी बैंक रुपये की कमी से जूझ रहे हैं। ऐसी स्थित एक महीने से बनी हुई है। लोग अपना रुपया निकालने के लिए बैंकों का चक्कर लगा रहे हैं। इन लोगों में किसी को अपने बेटे का नाम मेडिकल कॉलेज में लिखाने के लिए रुपया चाहिए तो कोई रुपया नहीं मिलने से अपनी बीमार पत्नी का इलाज नहीं करा पा रहा है। बैंकों से रुपया नहीं मिलने से खेती का काम भी अब प्रभावित होने लगा है। पटवन नहीं कर पाने के कारण गन्ना की फसल सूख रहे है तो धान की खेती की तैयार में जुटे किसान अपने खेतों की जुताई नहीं करा पा रहे हैं। खाताधारी सतीश कुमार बताते हैं कि मुझे भाई का नामांकन मेडिकल कॉलेज में कराना है। मेरा खाता बैंक ऑफ इंडिया में है। एक माह से रुपये के लिए बैंक का चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन कैश की कमी बताकर बैंक भुगतान नहीं कर रहा है। बरहिमा के लखन कहते हैं कि मेरी बेटी की शादी है, रुपये के लिए दो सप्ताह से ग्रामीण बैंक का चक्कर लगा रहे हैं। बुचेया निवासी मुकेश यादव बताते हैं कि मेरी भतीजी की शादी है, साथ ही गन्ने का पटवन तथा खेत की जुताई करना है। रुपये के लिए स्टेट बैंक का चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन पूरा भुगतान नहीं किया जा रहा है। महम्मदपुर के दिनेश तो अपनी बीमार पत्नी का रुपये के अभाव में इलाज नहीं करा पा रहे हैं। ये बताते हैं कि मेरी पत्नी हेपेटाइटिस-बी की रोगी हैं। सेंट्रल बैंक से रुपया निकालने के लिए जाने पर कैश की कमी बताकर जरूरत के अनुसार रुपये का भुगतान नहीं दिया जा रहा है। ऐसी स्थिति से अब लोगों में रोष बढ़ता जा रहा है। लोगों ने बताया कि अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो वे बैंकों के खिलाफ आंदोलन करने के लिए बाध्य हो जाएंगे।
सिधवलिया प्रखंड क्षेत्र स्थित सभी बैंकों से कैश गायब हो गया है। आरबीआइ द्वारा जिले में कैश नहीं भेजने से सभी बैंक रुपये की कमी से जूझ रहे हैं। ऐसी स्थित एक महीने से बनी हुई है। लोग अपना रुपया निकालने के लिए बैंकों का चक्कर लगा रहे हैं। इन लोगों में किसी को अपने बेटे का नाम मेडिकल कॉलेज में लिखाने के लिए रुपया चाहिए तो कोई रुपया नहीं मिलने से अपनी बीमार पत्नी का इलाज नहीं करा पा रहा है। बैंकों से रुपया नहीं मिलने से खेती का काम भी अब प्रभावित होने लगा है। पटवन नहीं कर पाने के कारण गन्ना की फसल सूख रहे है तो धान की खेती की तैयार में जुटे किसान अपने खेतों की जुताई नहीं करा पा रहे हैं। खाताधारी सतीश कुमार बताते हैं कि मुझे भाई का नामांकन मेडिकल कॉलेज में कराना है। मेरा खाता बैंक ऑफ इंडिया में है। एक माह से रुपये के लिए बैंक का चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन कैश की कमी बताकर बैंक भुगतान नहीं कर रहा है। बरहिमा के लखन कहते हैं कि मेरी बेटी की शादी है, रुपये के लिए दो सप्ताह से ग्रामीण बैंक का चक्कर लगा रहे हैं। बुचेया निवासी मुकेश यादव बताते हैं कि मेरी भतीजी की शादी है, साथ ही गन्ने का पटवन तथा खेत की जुताई करना है। रुपये के लिए स्टेट बैंक का चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन पूरा भुगतान नहीं किया जा रहा है। महम्मदपुर के दिनेश तो अपनी बीमार पत्नी का रुपये के अभाव में इलाज नहीं करा पा रहे हैं। ये बताते हैं कि मेरी पत्नी हेपेटाइटिस-बी की रोगी हैं। सेंट्रल बैंक से रुपया निकालने के लिए जाने पर कैश की कमी बताकर जरूरत के अनुसार रुपये का भुगतान नहीं दिया जा रहा है। ऐसी स्थिति से अब लोगों में रोष बढ़ता जा रहा है। लोगों ने बताया कि अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो वे बैंकों के खिलाफ आंदोलन करने के लिए बाध्य हो जाएंगे।