आंगनबाड़ी केन्द्रों की स्थापना इसी उद्देश्य से की गई थी कि बच्चों में कुपोषण की समस्या का अंत हो सके। बावजूद इसके इन केन्द्रों पर आने वाले बच्चे आज के समय में भी कुपोषित ही रह गये हैं। केन्द्र की व्यवस्था और बच्चों को मिलने वाले कथित पुष्टाहार में में दलालों की पहुंच के कारण स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं हो सका है।
एक दशक पूर्व जब जिले में कुपोषण के शिकार बच्चों के बारे में सर्वेक्षण कराया गया तब यह पता चला कि गोपालगंज जिले का हर चौथा बच्चा कुपोषण का शिकार है। ऐसे में इन बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए एक अभियान की आवश्यक्ता महसूस की गई। तब इस दिशा में प्रयास भी शुरू किये गये। आज एक दशक बाद भी कुपोषित बच्चों की संख्या में कोई खास अंतर नहीं आ सका है। हां कुपोषण से बचाव के क्षेत्र में प्रति वर्ष करोड़ों रुपये जरुर खर्च किए जा रहे हैं।
कितने कुपोषित बच्चे
सरकारी आंकड़ों के अनुसार जिले में शून्य से छह वर्ष के बच्चों की कुल संख्या 5,35,060 है। इनमें से कुपोषित बच्चों की संख्या 1,09,376 तथा अति कुपोषित बच्चों की संख्या 26,024 है।
बचाव को क्या हुए उपाय
बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए ग्रामीण इलाकों में आंगनबाड़ी केन्द्रों की स्थापना की गई। प्रत्येक केन्द्र पर चालीस बच्चों को पुष्टाहार देकर उन्हें कुपोषण से बचाने का अभियान शुरू किया गया। इन केन्द्रों पर बच्चों के अलावा गर्भवती महिलाओं को भी पुष्टाहार दिया जाता है ताकि जन्म लेने वाला बच्चा कुपोषण से मुक्त हो।
अतिकुपोषित बच्चों की संख्या
प्रखंड संख्या
बैकुंठपुर 2124
सिधवलिया 1368
बरौली 2592
मांझा 2076
गोपालगंज 2208
थावे 1164
कुचायकोट 3336
हथुआ 2256
उंचकागांव 1824
फुलवरिया 1308
भोरे 1788
कटेया 1380
विजयीपुर 1392
पंचदेवरी 1008