एसपी व थानेदार को महंगा पड़ा केस डायरी नहीं सौंपना

Fri, 03Feb 2017
करीब 18 साल पूर्व विजयीपुर थाना क्षेत्र में हुई हत्या के एक मामले को फाइनल किए जाने के समय केस डायरी कोर्ट में नहीं सौंपना पुलिस को महंगा पड़ गया। दशम अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सुभाष चंद्र शर्मा के न्यायालय ने बार-बार के निर्देश के बाद भी कोर्ट में केस डायरी प्रस्तुत नहीं करने के मामले में एसपी तथा विजयीपुर थानाध्यक्ष के वेतन से कॉस्ट मद की दो हजार की राशि वसूलने का आदेश जारी करते हुए डीआइजी व डीजीपी के अलावा कोषागार पदाधिकारी को आदेश का अनुपालन करने का आदेश जारी किया।
जानकारी के अनुसार वर्ष 1999 में विजयीपुर थाना क्षेत्र में एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी। इस घटना को लेकर थाने में कांड संख्या 42/99 प्राथमिकी दर्ज की गई। करीब एक साल के अनुसंधान के बाद पुलिस ने 10 मई 2000 को इस कांड में अंतिम प्रपत्र सौंप दिया। लेकिन पुलिस ने अंतिम प्रपत्र के साथ केस डायरी कोर्ट में नहीं सौपा। इस कांड की सुनवाई के दौरान एजीजेएम दशम के न्यायालय ने पाया कि संचिका में केस डायरी उपलब्ध नहीं है। ऐसे में गत वर्ष 16 फरवरी को न्यायालय ने विजयीपुर थानाध्यक्ष को मूल केस डायरी की कार्बन कॉपी कोर्ट को उपलब्ध कराने का आदेश दिया। न्यायालय में 13 तिथि तक कोर्ट डायरी का इंतजार होता रहा। लेकिन विजयीपुर थाने की पुलिस ने डायरी नहीं सौंपी। अंत में गत 19 दिसंबर को न्यायालय ने एसपी के माध्यम से केस डायरी की मांग की। बावजूद इसके केस डायरी न्यायालय को उपलब्ध नहीं कराया गया। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए न्यायालय ने कांड की सुनवाई के दौरान केस डायरी नहीं देने के मामले में एसपी तथा विजयीपुर थानाध्यक्ष को समान रूप से दोषी मानते हुए दोनों से कॉस्ट के रूप में एक-एक हजार की वसूली उनके वेतन से करने का आदेश जारी किया । न्यायालय ने आदेश का अनुपालन कराने के लिए डीआइजी सारण, डीजीपी बिहार तथा जिला कोषागार पदाधिकारी गोपालगंज को भी निर्देश जारी किया है।

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