यह पूरी तरह से व्यवस्था की नाकामी है। करीब 16 साल से थानों में जब्त किए गए वाहनों की नीलामी नहीं हुई और थाने में जब्त वाहनों की लाइन बढ़ती चली गई। आज हालत यह है कि जिले के तमाम थानों में सैकड़ों की संख्या में दोपहिया व चारपहिया वाहन तथा मालखाना में सामान सड़ रहे हैं। उसकी सुध न ही पुलिस प्रशासन को है और न ही परिवहन विभाग को। जब्त वाहनों में अधिकांश वाहन ऐसे भी हैं, जिन्हें थाने में जब्त करने के बाद उनकी खोजबीन करने कोई नहीं आया। नगर थाना के अलावा जिले के सभी 18 थानों में ऐसे वाहनों की संख्या हजारों में है।
शहर की बीचोबीच स्थित नगर थाना की स्थिति सबसे अलग है। इस थाना में जब्त वाहनों की संख्या इतनी अधिक है कि इन्हें थाना के गेट पर रखा गया है। सड़क के दोनों ओर फ्लैंक पर वाहनों को रखे जाने के कारण प्रतिदिन इस इलाके में जाम की स्थिति पैदा होती है। नगर थाना के आगे स्थित गोलंबर के समीप गाड़ियों के उपर गाड़ी चढ़ाकर ऐसे रखी गई है, मानों किसी गैराज में गाड़ियों को मरम्मत के लिए जमा किया गया हो। लंबे समय से नगर थाने में जब्त वाहनों की संख्या अधिक होने के कारण इसे सड़क पर खड़ा किया गया है। ऐसे में आम लोग परेशान हैं। बावजूद इसके पुलिस के अधिकारियों को आम लोगों की समस्याओं से कोई भी मतलब नहीं है।
क्या है नीलामी का नियम
अगर तीन साल तक किसी भी जब्त माल के बारे में कोई दावेदार नहीं आता है तो उसकी नीलामी कर दी जाती है। लेकिन यहां तो 16 साल बाद भी जब्त वाहनों तथा मालखाने में पड़े कीमती सामानों की नीलामी नहीं की गई। नतीजा भी सामने है। मालखाने में ही लाखों रुपये मूल्य की संपत्ति या तो सड़ चुकी है या सड़कर बर्बाद होने के कगार पर है।
दोपहिया व चार पहिया वाहनों की भरमार
नगर थाना सहित सभी थानों में जब्त किए गए वाहनों में दोपहिया की संख्या अधिक है। अलावा इसके चार पहिया वाहनों की संख्या भी हजारों में है। लेकिन दोपहिया व चार पहिया वाहनों की नीलामी निर्धारित अवधि में नहीं किए जाने के कारण यह स्थिति पैदा हुई है।