हथुआ से उत्तरप्रदेश के भटनी को रेल लाइन से जोड़ने की योजना के तहत जमीन अधिग्रहण का कार्य राशि के अभाव में ठप पड़ गया है। इस परियोजना के लिए 39 गांवों में अब भी भूमि अधिग्रहण करने का कार्य बाकि है। इन गांवों की भूमि अधिग्रहण के लिए 1.81 अरब रुपये की दरकार है। राशि के अभाव में जमीन का अधिग्रहण बंद होने के कारण इस रेल परियोजना पर आगे का कार्य कब प्रारंभ होगा, यह बता पाने में भू-अर्जन विभाग भी खुद को असमर्थ पा रहा है।
तत्कालीन केन्द्रीय रेलमंत्री लालू प्रसाद ने अपने कार्यकाल के दौरान हथुआ से भटनी को सीधे जोड़ने की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद जमीन का अधिग्रहण तथा नई रेल लाइन को बिछाने का कार्य प्रारंभ किया गया। इसी रेल खंड पर लालू प्रसाद का गांव फुलवरिया तथा बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी का मायका सेलार कला भी है। प्रथम फेज में इस खंड पर 26 गांवों के जमीन का अधिग्रहण शुरू किया गया। लालू प्रसाद के कार्यकाल में इस परियोजना पर काफी तेजी दिखी और जल्द ही 26 गांवों की जमीन का अधिग्रहण करने के बाद रेल लाइन बिछाने का कार्य भी पूर्ण कर लिया गया। खुद लालू प्रसाद ने ही फुलवरिया से हथुआ तक रेल गाड़ियों के परिचालक को झंडी दिखाई थी। फुलवरिया से रेल गाड़ियों का परिचालन शुरू होने के बाद बथुआ से लेकर भटनी के बीच जिले की सीमा में स्थित 57 गांवों की जमीन का अधिग्रहण किया जाना था। लेकिन इस परियोजना में राशि के अभाव के कारण संकट की स्थिति पैदा होने लगी है। सूत्रों की मानें तो दूसरे फेज में इस खंड के कुल 18 गांवों की जमीन के अधिग्रहण का कार्य ही किया गया है। इसका कारण 18 गांवों में जमीन अधिग्रहण के बाद राशि का समाप्त होना रहा। ऐसे में शेष बचे 39 गांवों के जमीन का अधिग्रहण करने का कार्य राशि के अभाव में लटक गया है।
अर्जित जमीन पर 80 प्रतिशत कार्य पूर्ण
रेलवे के लिए भू-अर्जन विभाग द्वारा दूसरे फेज में अर्जित की गई 18 गांवों की जमीन पर निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है। मिट्टी भराई से लेकर ट्रैक बिछाने का कार्य 80 प्रतिशत तक पूर्ण कर लिया गया है। अलावा इसके कई स्थानों पर पूल आदि का निर्माण कार्य भी पूर्ण किया जा चुका है। लेकिन राशि के अभाव में आगे का कार्य करीब दो साल से अटका हुआ है।