शुक्रवार की सुबह पटना स्थित राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के आवास सहित अन्य ठिकानों पर सीबीआई की छापेमारी की खबर लगते ही राजद सुप्रीमो के पैतृक गांव में सन्नाटा पसर गया। हालांकि इस सन्नाटे के बीच फुलवरिया गांव के ग्रामीणों में आक्रोश भी दिखा। लेकिन छापेमारी को लेकर कुछ भी कहने से लालू प्रसाद के पट्टीदार तथा अन्य ग्रामीण कतराते रहे। लालू यादव के खिलाफ सीबीआइ की छापेमारी से ऐसा कयास लगाया जा रहा था उनके पैतृक गांव में भी छापेमारी होगी। लेकिन सीबीआई की टीम फुलवरिया गांव नहीं पहुंची और ना ही शहर के हजियापुर स्थित लालू प्रसाद के आवास पर। वैसे छापेमारी की आशंका को लेकर फुलवरिया गांव में चहलपहल अन्य दिनों की अपेक्षा कम दिखी। लालू प्रसाद के पैतृक घर पर सन्नाटा पसरा हुआ था। इस घर के आंगन में लालू प्रसाद की दिवंगत मां मरछिया देवी की आदमकद प्रतिमा है। इसी पैतृक घर में लालू प्रसाद के बड़े भाई स्वर्गीय मंगरू यादव के छोटे पुत्र श्यामा यादव अपने परिवार के साथ रहते हैं। शुक्रवार को इस घर के तीन कमरों में ताला लटका हुआ था। घर के दो कमरों के दरवाजे पर कुंडी लगाकर घर में रहने वाले लोग कहीं चले गए थे। लालू प्रसाद के दूसरे भाई फुलवरिया प्रखंड के पूर्व प्रखंड प्रमुख स्वर्गीय गुलाब यादव के आवास के बाहर भी चहल पहल नहीं दिखी। एक अन्य भाई स्वर्गीय मंगरू यादव तथा लालू प्रसाद के घर के बगल के घरों में सन्नाटा दिखा। हालांकि सीबीआइ की छापेमारी से अनभिज्ञ बच्चे इस गांव के बच्चे अपने घरों के सामने खेलते दिखे। सीबीआई की छापेमारी की जानकारी लगने के साथ ही लालू प्रसाद के पैतृक गांव फुलवरिया में राजद समर्थकों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया था। ग्रामीणों का कहना था कि लालू यादव जब मुख्यमंत्री थे तब उनके गांव का काफी विकास हुआ था। गांव की चौहद्दी में प्रखंड मुख्यालय, बिजली पावर सब स्टेशन, रजिस्ट्री कचहरी, रेफरल अस्पताल की स्थापना हुई। यदि लालू यादव पांच वर्ष और रेल मंत्री रहे होते तो फुलवरिया- भटनी रेलवे लाइन का कार्य पूर्ण हो गया होता। फुलवरिया गांव पहुंचे राजद नेताओं ने खुल कर सीबीआई की इस कार्रवाई के खिलाफ अपनी भड़ास निकाली। उन्होंने कहा कि पिछड़ों तथा विपक्ष की आवाज दबाने को लेकर यह कार्रवाई गई है। राजद कार्यकर्ता ऐसी कार्रवाई से डरने वाले नहीं हैं।इस कार्रवाई के खिलाफ सड़क पर उतरा जाएगा।