Tue, 26 Apr 2016
समय के साथ-साथ शादी-विवाह समारोहों का मिजाज भी बदल गया है। लोग अभी भी शादी समारोहों में शामिल हो रहे हैं। कोई नेवता मत छुटे इसको लेकर भी जतन किये जा रहे हैं। लेकिन वैवाहिक कार्यक्रम में शामिल होने का उत्साह अब भागम-भाग में बदल गया है। बुजुर्ग बताते हैं कि पहले और अब वैवाहिक कार्यक्रमों में रस्म अदायगी के दस्तूर काफी बदल गए हैं। पहले कन्या पक्ष के लोग बरात की आगवानी करते थे। दरवाजे पर पहुंचते ही बरातियों का फूल माला से स्वागत कर एक दूसरे से परिचय लेते थे। गाजे-बाजे के साथ द्वार पूजा होती थी और तब नाश्ता का दौर चलता है। लेकिन अब बराती और सरातियों के बीच मिलन-जुलन की औपचारिकता भर पूरी की जा रही है। दरवाजे पर पहुंचते ही लोग जल्दी से नेवता लिखवाते हैं और नाश्ता मिले न मिले बरात से आधे से अधिक लोग खिसक लेते हैं। भोजन के बाद तो करीब-करीब सभी बराती अपने-अपने घरों के लिए प्रस्थान कर देते हैं।