Sat, 30 Apr 2016
अब टीबी से पीड़ित मरीजों की पहचान को गांव-गांव में अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान के दौरान टीबी से पीड़ित मरीजों की पहचान के साथ ही मरीजों को रोग से मुक्ति दिलाने की पहल भी की जाएगी। आरएनटीसीपी से संचालित यह अभियान ममता कार्यकर्ताओं तथा स्वयं सेवकों के माध्यम से चलाया जाएगा। इसके लिए इन्हें प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। ऐसे में अब, कुछ ही समय की बात है, गांव-गांव और घर-घर तक पहुंचने वाले स्वयं सेवकों की पहल पर टीबी से पीड़ितों को ममता की छांव मिलने लगेगी। प्रखंड क्षेत्र में यक्ष्मा रोग से काफी पहले से ही जंग जारी है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इस रोग से पीड़ितों की निश्शुल्क जांच से लेकर दवा की व्यवस्था भी की गयी है। लेकिन इसके बावजूद टीबी रोग अभी भी समस्या बनी हुई है। इलाज के साथ ही नये मरीजों का मिलना भी जारी है। ऐसी स्थिति को देखते हुए आरएनटीसीपी कार्यक्रम के तहत टीबी रोग से मुक्त कराने की पहल की गयी है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने बताया कि टीबी रोगियों की पहचान के लिए ममता कार्यकर्ता के साथ स्वयंसेवक गांव-गांव में घर-घर जाएंगे। रोगियों की पहचान के साथ ही दवा की उपलब्धता की जानकारी भी इकट्ठा की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस जानकारी के आधार पर टीबी रोगियों की समुचित इलाज की व्यवस्था की जाएगी।