इस अस्पातल के लिए नया भवन भी बनाया गया और इसे प्राथमिकी स्वास्थ्य केंद्र से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बना दिया गया। लेकिन रुतबा बढ़ने के बाद भी इस अस्पताल की दशा नहीं बदली। चिकित्सकों से लेकर स्वास्थ्य कर्मियों की कमी यहां इलाज कराने आने वाले मरीजों के लिए परेशानी का कारण बन गया है। रही सही कसर दवा की कमी ने पूरी कर दिया है। यहां चिकित्सक मरीजों की पर्ची पर दवाइयां लिखते हैं। लेकिन ये दवाइयां अस्पताल में उपलब्ध नहीं होने से उन्हें बाहर से खरीदना पड़ता है।
जिले में मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए उचकागांव तथा बरौली प्राथमिकी स्वास्थ्य केंद्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा दिया गया। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा मिलने के बाद उचकागांव अस्पताल में नया भवन बनाया गया। 3.70 करोड़ की लागत से बने इस भवन में बेड से लेकर वे सभी संसाधन उपलब्ध कराए गए, जिससे मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल सके। लेकिन संसाधन बढ़ाये जाने के बाद भी यहां चिकित्सकों तथा स्वास्थ्य कर्मियों की कमी मरीजों पर भारी पड़ रही है। नियमों के अनुसार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक सर्जन, एक मेडिसिन विशेषज्ञ, एक बाल रोग विशेषज्ञ, एक दंत चिकित्सक, एक स्त्री रोग विशेषज्ञ तथा छह एमबीबीएस चिकित्सक होना चाहिए। इसके साथ की एएनएम से सहित 64 स्वास्थ्य कर्मियों की भी तैनाती सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में करना है। लेकिन इस अस्पताल में तीन एमबीबीएस डाक्टर तथा एक दंत चिकित्सक ही हैं। न तो यहां सर्जन हैं और ना ही महिला चिकित्सक। एएनएम सहित स्वास्थ्य कर्मियों की भी काफी कमी है। जिससे यहां आने वाले मरीजों की परेशानी बढ़ी हुई है। मरीज बताते हैं कि यहां का एक्सरे मशीन भी बंद पड़ा हुआ है। चिकित्सक पर्ची पर दवाइयां लिखते हैं, लेकिन ये दवाइयां अस्पताल में उपलब्ध नहीं है। दवाइयां बाहर से खरीदनी पड़ती है। वहीं इस संबंध में जब चिकित्सा प्रभारी डा.रामलखन प्रसाद से उनके मोबाइल फोन पर संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि जिला मुख्यालय में मीटिंग में हैं।