सरकार ने तो व्यवस्था बनाया था कि किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिले। इसके लिए पैक्स व व्यापार मंडल के माध्यम से धान क्रय का का कार्य प्रारंभ करने के निर्देश जारी किये गये। लेकिन यहां धान क्रय का अभियान शुरु से ही व्यवस्था के पेंच में फंसा रहा। आलम यह रहा कि अब जबकि धान क्रय में केवल दो दिन शेष हैं, और जिले में 76 हजार मीट्रिक टन के लक्ष्य के विरुद्ध मात्र 30 प्रतिशत ही उपलब्धि प्राप्त की जा सकी है। ऐसे में वर्तमान सुस्ती को देखते हुए वर्तमान वित्तीय वर्ष में धान क्रय का लक्ष्य प्राप्त करना असंभव दिखने लगा है। जिला सहकारिता कार्यालय के आंकड़े बताते हैं कि अबतक जिले में महज 24,160 मीट्रिक टन ही धान की खरीद हो सकी है। विभाग के कड़े निर्देश के बाद भी 76 पैक्स एक किलोग्राम भी धान क्रय नहीं कर सके हैं। यह स्थिति तब रही जबकि धान क्रय तेजी से करने के लिए जिला आपूर्ति पदाधिकारी के नेतृत्व में बकायदा एक कमेटी का भी गठन किया गया था।
यहां व्यवस्था के पेंच में फंसी धान खरीद की व्यवस्था को देखकर ऐसा लगता है कि किसानों को अभी उनकी मेहनत का मोल नहीं मिल सकेगा। धान क्रय में सरकारी एजेंसियों की उदासीनता का नमूना वर्तमान वर्ष में पैक्स या व्यापार मंडल से धान का क्रय के अभियान में सुस्ती रहा। पूरे वर्ष किसान धान बेंचने को दर-दर भटकते रहे। लेकिन तब धान की खरीद नहीं की गयी। तब सरकारी अमले धान में नमी बताकर किसानों को क्रय केन्द्रों से लौटाते रहे। ऐसे में किसान पैसों की जरुरत को देखते हुए कड़ी मेहनत के बाद उपजाये गये धान को खुले बाजार में सस्ते दर पर बेचने को विवश हो गये। आंकड़ों की मानें तो गत दिसम्बर माह से प्रारंभ हुए धान क्रय अभियान के तहत कुल 234 पैक्स व 12 व्यापार मंडल से धान का क्रय किया जाना था। लेकिन तमाम प्रयास के बाद भी जिले में महज 158 पैक्स व तीन व्यापार मंडल ही धान का क्रय कर सके। जिला सहकारिता कार्यालय के आंकड़ों की मानें तो अबतक जिले में महज 3400 किसानों से 24,160 एमटी धान का क्रय किया गया है। ऐसे में शेष बचे समय में लक्ष्य को प्राप्त करना विभाग के लिए चुनौती के समान है।
किसानों को नहीं मिला बोनस
सरकार ने धान का क्रय प्रारंभ किये जाने के समय किसानों को तीन सौ रुपये बोनस देने की घोषणा की थी। अब धान क्रय का कार्य समाप्ति के कगार पर है। लेकिन अबतक किसानों को बोनस नहीं मिल सका है। इस संबंध में जिला सहकारिता विभाग दो टूक जवाब दे रहा है कि इस संबंध में सरकार का कोई भी पत्र प्राप्त नहीं है।