अब तो इस इलाके के किसान कचरे और झाड़ियो से पट गयी इस नहर में पानी छोड़े जाने की उम्मीद भी छोड़ चुके हैं। हालांकि नहर के इलाके में ही पानी के अभाव में सूख रही मक्का की फसल को देख कर किसान ये सवाल अब भी करते हैं कि आखिर इस नहर को बनाया क्यों गया था। प्रखंड के हमीदपुर पंचायत के हरिजन टोली के समीप से गुजर रही इस दस किलोमीटर लंबी नहर के क्षेत्र में 18 गांव पड़ते हैं। इस इलाके के किसान बताते हैं कि दो दशक पूर्व इस इलाके के 18 गांवों के खेतों की सिंचाई करने के लिए करीब दस किलोमीटर लंबी नहर बनाया गया। जब नहर बनाने का काम शुरू हुआ तो इस इलाके के किसान इस बात से खुश थे कि अब खेतों की सिंचाई की समस्या दूर हो जाएगी। लेकिन नहर बनने के बाद किसान इसमें पानी छोड़ने की राह ही देखते रह गए। नहर बनने के बाद से आज तक इस में पानी नहीं छोड़ा गया। किसान बताते हैं कि इस इलाके में गेहूं के साथ ही मक्का की भी व्यापक पैमाने पर खेती होती है। लेकिन नहर होने के बाद भी खेती अभी भी बारिश पर ही निर्भर है। वे बताते हैं कि इस समय पानी के अभाव में मक्का की फसल सूख रही है। इस इलाके के सरकारी नलकूप भी खराब पड़े हैं। ऐसी स्थिति में किसान निजी संसाधन से सिंचाई कर किसी तरह मक्का की फसल को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। इस इलाके के किसान कहते हैं कि इस नहर की साफ सफाई कर पानी छोड़ दिया जाए तो खेतों की सिंचाई करने की समस्या दूर हो जाएगी। किसान नहर में पानी छोड़ने के लिए पिछले कई साल से नगर प्रखंड विभाग कार्यालय की दौड़ भी लगा रहे हैं। लेकिन आज तक किसी ने इस नहर की तरफ ध्यान ही नहीं दिया।