मांझा प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय बलुहीं में
जांच के नाम पर अवैध उगाही करने के आरोप में गिरफ्तार पांचों
आरोपियों को पुलिस ने शुक्रवार को जेल भेज दिया। पकड़े गये
पांचों लोग स्वयंसेवी संस्था से संबद्ध थे। पांचों आरोपी सारण
प्रमंडल के तीनों जिलों में पिछले दो माह से सक्रिय थे तथा अबतक
लाखों रुपये की वसूली कर चुके थे।
एसडीपीओ सदर मनोज कुमार ने शुक्रवार को प्रेस वार्ता के
दौरान बताया कि मांझा प्रखंड के मध्य विद्यालय बलुहीं में
गुरुवार को पहुंचकर पैसों की वसूली कर रहे पांच लोगों को
ग्रामीणों ने पांच लोगों को बंधक बना लिया था। घटना की
सूचना मिलने के बाद पुलिस ने सभी लोगों को मुक्त कराकर इलाज
के लिए अस्पताल में भर्ती कराया। मामले की छानबीन में ये
पांचों लोग एक स्वयंसेवी संस्था से संबद्ध पाए गये। इस स्वयंसेवी
संस्था के जिम्मे किसी भी विद्यालय या संस्थान की जांच की
जिम्मेदारी नहीं थी। लेकिन नियमों के वितरित पांचों लोगों ने
स्कूल में पहुंचकर जांच के नाम पर पैसों की उगाही का प्रयास
किया। एसडीपीओ ने बताया कि संस्थान के चेयरमैन एसएस तोमर
ने इस बात की पुष्टि किया कि पकड़े गये पांचों लोग उनकी
संस्था से संबद्ध हैं। लेकिन उन्हें किसी भी तरह की जांच का
अधिकार नहीं है। उन्होंने बताया कि विद्यालय से पकड़े गये पांचों
लोगों को अवैध तरीके से पैसों की उगाही करने के आरोप में
गिरफ्तार किया गया। इनके विरुद्ध मांझा थाने में धोखाधड़ी
की प्राथमिकी दर्ज कराते हुए शुक्रवार की शाम जेल भेज दिया
गया। एसडीपीओ ने बताया कि पकड़े गये लोगों ने सारण प्रमंडल
के तीनों जिलों में अबतक एक से दो लाख रुपये की अवैध वसूली की
है। उन्होंने बताया कि अवैध वसूली के आरोप में पकड़े गये लोगों में
छपरा जिले के दाउदपुर थाना क्षेत्र के शीतलपुर गांव के रोहित
चौबे, सिवान जिले के दरौंधा थाना क्षेत्र के भदारी चौर गांव के
अनिल यादव तथा अशोक यादव, छपरा जिले के एकमा थाना
क्षेत्र के गंजपुर गांव के विश्वनाथ शर्मा तथा छपरा जिले के एकमा
के अनवर अंसारी शामिल हैं।
क्या है मामला
गुरुवार को मांझा प्रखंड के मध्य विद्यालय बलुहीं में
पहुंचे पांच लोगों ने खुद को निगरानी टीम का सदस्य बताकर
जांच किया था। जांच के बाद पैसों की मांग किये जाने के बाद
आक्रोशित शिक्षकों व ग्रामीणों ने उनकी पिटाई कर उन्हें एक
कमरे में बंद कर दिया। इसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने पांचों
लोगों को मुक्त कराकर अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया
था। इसी मामले की जांच के बाद पुलिस ने इस बात का खुलासा
किया है कि पकड़े गये पांचों लोग किसी भी निगरानी टीम से
संबद्ध नहीं थे। पांचों लोग एक एनजीओ से संबद्ध थे।