सचमुच जिले की वेव साइट के आंकडे़ चौकाने वाले हैं। विभागीय स्तर पर तो इस बात का दावा होता है कि जिले की वेव साइट को हर दिन अपडेट किया जाता है। लेकिन धरातल पर कहानी कुछ और ही है। ऐसे में जिले का सरकारी वेवसाइट देखकर कोई भी गलत फहमी में पड़ जाएगा। पुलिस की वेव साइट के आंकड़ों को सही मानें तो पिछले सात साल में इस जिले में किसी भी तरह का अपराध हुआ ही नहीं। साथ ही इस अवधि में एक भी व्यक्ति की गिरफ्तारी नहीं हुई।
जिले की सरकारी वेवसाइट पर ही स्थिति पुलिस के आंकड़े यहां की कहानी को कुछ और ही बता रहे हैं। वेव के आंकड़ों में एसपी के अलावा किसी भी अन्य वरीय पुलिस पदाधिकारियों का नाम तक अंकित नहीं है। इसके अलावा वर्ष 2001 से 2008 तक के अपराध के आंकड़े तो वेव पर दर्ज किये गये हैं। लेकिन इसके बाद के आंकड़े गायब हैं। इसके अलावा वर्ष 2008 के बाद के पुलिस अनुसंधान के आंकड़े भी गायब हैं। हद तो यह कि पुलिस वेव में क्राइम स्टेटिक का एक फोल्डर तो बना है, लेकिन इसमें कोई भी आंकड़ा नहीं है। साथ ही आरोपियों की धर पकड़ की स्थिति भी अद्यतन नहीं है। जिला पुलिस की वेव पर कुछ लोगों की तस्वीर को अंकित किया गया है। लेकिन पुलिस द्वारा ढाई सौ से भी अधिक लोगों के खिलाफ की जा रही स्पीडी ट्रायल के बारे में कोई भी जानकारी दर्ज नहीं है। गलत जानकारियों के कारण वेवसाइट के जानकार पुलिस की इस व्यवस्था को हास्यास्पद करार देने से भी बाज नहीं आ रहे।