कुचायकोट के बरनैया राजाराम गांव में लगे तीन सरकारी नलकूप खेतों की सिंचाई करने की जगह किसानों का दर्द बढ़ा रहे हैं। अभी किसान अपने गेहूं की फसल की सिंचाई करने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। लेकिन यहां लगे तीन सरकारी नलकूप को चालू करने के प्रति विभाग उदासीन बना हुआ है। ऐसे में किसानों के विकास के लिए चलाई जा रही योजनाओं की सच्चाई इस गांव में देखी जा सकती है। इस गांव में सिंचाई की सुविधा बढ़ाने के लिए सत्तर के दशक में एक सरकारी नलकूप लगाया गया। इसके बाद वर्ष 2002 में दो और नये नलकूप भी इस गांव में लगाये गये। इन तीनों नलकूपों के लगाने में लाखों रुपये खर्च किये गये। लेकिन तीन नलकूप लगाने के बाद भी यहां के किसानों को अपनी फसलों की सिंचाई करने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है। किसान बताते हैं कि इन तीनों नलकूपों से आज तक एक बूंद पानी नहीं निकला। लेकिन इन नलकूपों के रख रखाव के नाम पर समय समय पर लाखों रुपये खर्च कर दिए गए। वे कहते हैं कि पहले इन नलकूपों में डीजल पंप लगाये गये थे। फिर बाद में बिजली के ट्रांसफार्मर नलकूप तक पहुंचाए गए और बिजली चलित मोटर को नलकूपों से जोड़ा गया। लेकिन इसके बाद भी इन नलकूपों से पानी आज तक नहीं निकला। वे कहते हैं कि किसानों के विकास के बड़े बड़े वादे किये जाते हैं। लेकिन किसानों के नाम पर लाखों रुपये खर्च कर बनायी गयी योजनाएं किस हाल में हैं, इसकी तरफ ध्यान ही नहीं दिया गया। वे कहते हैं कि पहले पानी के अभाव में धान की फसल सूख कर बर्बाद हो गयी। अब गेहूं की सिंचाई के लिए किसान जद्दोजहद कर रहे हैं। इसके बावजूद विभाग इन नलकूपों को चालू करने की दिशा में उदासीन बना हुआ है।