छोटी सी झोपड़ी में चल रहा नवसृजित विद्यालय

शिक्षा के अधिकार अधिनियम का खुद शिक्षा विभाग मजाक उड़ा रहा है। इस अधिनियम के तहत सभी बच्चों को शिक्षा देने के नाम पर स्कूल तो खोल दिये गए। लेकिन स्कूल स्थापित करने से पहले स्कूलों के लिए न तो जमीन की व्यवस्था की गयी और ना ही भवन की। ऐसे में प्रखंड के पहाड़पुर गांव स्थित नवसृजित प्राथमिक विद्यालय नोनिया व गिरी टोला तथा नवसृजित प्राथमिक विद्यालय प्यारेपुर पश्चिम टोला के बच्चे एक छोटी सी झोपड़ी में मौसम की मार झेलते हुए पढ़ने को विवश हैं। इन स्कूलों के लिए झोपड़ी भी ग्रामीणों ने बच्चों की हालत पर तरस खाकर खुद बनायी है।

प्रखंड क्षेत्र में शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2010 लागू होने के बाद शिक्षा विभाग ने छह से चौदह आयु वर्ग के सभी बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ग्रामीण इलाके में नवसृजित प्राथमिक विद्यालय का सृजन किया गया। लेकिन इन स्कूलों के लिए मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं करायी गयी। ऐसे में पहाड़पुर तथा प्यारेपुर खोले गए नवसृजित प्राथमिक विद्यालय झोपड़ी में चल रहे हैं। पांच वर्ष पूर्व इन विद्यालयों को स्थापित किया गया। लेकिन अब तक भवन के लिए न तो भूमि उपलब्ध कराया गया और ना ही संसाधन। हद तो यह कि झोपड़ी का निर्माण स्थानीय ग्रामीण ने श्रमदान से किया है। ग्रामीण बताते हैं कि इन स्कूलों में शिक्षकों की बहाली तो की गयी। लेकिन शिक्षा विभाग को यहां आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराना याद नहीं रहा। वहीं इस संबंध में पूछे जाने पर सीओ इंदू भूषण ने बताया कि प्यारेपुर में स्कूल के लिए जमीन रजिस्ट्री करायी जा चुकी है। पहाड़पुर में भूमि के लिए प्रयास किया जा रहा है। ऐसे में जब तब भूमि उपलब्ध नहीं हो जाता और उस पर भवन नहीं बन जाता, तब तक बच्चों को खुले आसमान के नीचे या झुग्गी झोपड़ी में ही शिक्षा लेनी होगी।

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