शहर से लेकर गांवों तक वाहन चोरों का आतंक

जिले के शहरी व ग्रामीण इलाकों तक वाहन चोरों का आतंक फैला हुआ है। आए दिन हो रही वाहनों की चोरी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। लगातार बढ़ती वाहनों की चोरी की घटना के बीच हरेक थाने की पुलिस लाचार दिख रही है। सबसे खराब हालत नगर थाने की पुलिस की है। हालत यह है कि चोर कलेक्ट्रेट से लेकर अस्पताल व शिक्षा कार्यालय में खड़े वाहन को उड़ा ले रहे हैं। ऐसे में लोग अब पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने लगे हैं।
इन दिनों जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण इलाकों तक में वाहन चोरों का आतंक है। आलम यह है कि चोर किसी न किसी इलाके में प्रतिदिन वाहन उड़ा ले जा रहे हैं। सरकारी कर्मियों तक वाहन चोरों के निशाने पर हैं। आंकड़े बताते हैं कि वर्तमान वर्ष में अबतक 71 वाहनों पर चोर हाथ साफ कर चुके हैं। इनमें दोपिहया वाहनों की संख्या करीब 60 है। बावजूद इसके पुलिस वाहन चोरी की बढ़ती घटनाओं पर लगाम लगाने मे अबतक कारगर व्यवस्था नहीं कर सकी है। पुलिस के ही आंकडों को मानें तो वाहन चोरी की घटना में संलिप्त गिरोह के सदस्य कलेक्ट्रेट तक को निशाना बनाने से पीछे नहीं हैं। आंकड़ों की मानें तो इस साल हुई वाहनों की चोरी की घटनाओं को गिरोह के सदस्यों ने भीड़भाड़ वाले इलाकों में भी अंजाम दिया है। लगातार बढ़ती वाहन चोरी की घटनाएं बताती हैं कि जिला मुख्यालय में कलेक्ट्रेट के अलावा कलेक्ट्रेट गेट से लेकर अस्पताल चौक तथा डाकघर चौक से लेकर चिराई घर के बीच भी वाहन सुरक्षित नहीं है। इस साल अभी तक अकेले इसी क्षेत्र में चार दर्जन से अधिक वाहनों चोरी की घटना हो चुकी है। पूरे जिले के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्तमान वर्ष में अबतक 71 से भी अधिक वाहनों को चोर उड़ा चुके हैं। दो-चार मामलों को छोड़ अधिकांश मामलों का उद्भेदन कर पाने में पुलिस अबतक विफल रही है। जिला मुख्यालय ही नहीं, सुदूर ग्रामीण इलाकों में भी वाहन चोरी की घटनाएं बढ़ती जा रही है।
कांड सूत्रहीन बताने में जुटी पुलिस
गोपालगंज : बढ़ती चोरी की घटनाओं को रोक पाने में विफल पुलिस घटना को सत्य लेकिन सूत्रहीन करार देने में लगी है। तीन माह अधिक पुराना मामला होने के बाद कांड के अनुंसधानकर्ता अधिकांश मामलों में यही हथकंडा अपनाते हैं। ऐसी भी बात नहीं कि पुलिस वाहन चोरी की घटना में संलिप्त लोगों का पता नहीं लगाती। पुलिस इनके विरुद्ध अभियान तो चलाती है। लेकिन वाहन चोरों का पता नहीं लग पाने की स्थिति में घटना को सूत्रहीन बताकर आरोप पत्र समर्पित कर देती है। ऐसे में कई चोरी के मामले पुलिस की फाइलों में ही दफन होकर रह जाते हैं।

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