Sun, 18Dec 2016
हथुआ प्रखंड के मछागर लछीराम गांव के ग्रामीण जालसाजों के शिकार हो गए। कुछ माह पूर्व अपने को गैस एजेंसी का कर्मी बताकर कुछ लोग इस गांव में आए थे। उन्होंने आनलाइन आइसीआइसीआई बैंक में खाता खोलने के लिए गांव में कैंप लगाया। आधार नंबर आदि लेकर ग्रामीणों का खाता भी खोल दिया गया। लेकिन उनको पास बुक नहीं दिया गया। अब खाता खोलने के सात माह बाद ग्रामीणों को पता चला कि उनको रसोई गैस सब्सिडी की राशि तो मिल ही नहीं रही है। दरअसल जालसाजों ने ग्रामीणों को गैस सब्सिडी का रुपया उड़ा लिया।
मछागर लछीराम गांव के ग्रामीणों ने बताया कि सात महीना पहले उनके गांव सहित आसपास के अन्य गांवों में आइसीआइसीआई बैंक के कागजातों और फिगर¨प्रटर मशीन लेकर कुछ लोग पहुंचे थे। उनलोगों ने खुद को गैस एजेंसी का सदस्य बताकर जीरो बैलेंस पर ऑनलाइन खाता खोलने की बात कही। इसके लिए वे गांव में कैम्प लगाकर खाता खोलने लगे । खाता खोलने के लिए ग्रामीणों से उनका आधार कार्ड मांगा। खाता खोलने के बाद उसका नंबर देने के बाद उन लोगों ने यह आश्वासन दिया कि कुछ दिन में पासबुक मिल जाएगा। लेकिन सात माह बाद भी पासबुक नहीं मिला। ग्रामीणों ने सात माह बाद देखा कि खोले गए खाता में गैस सब्सिडी की राशि आई ही नहीं है। तब एक-एक कर ग्रामीणों ने गैस एजेंसी में जाकर पता कि तो उनके होश उड़ गए। ग्रामीणों ने पाया कि उनकी सब्सिडी की राशि बगैर उनकी जानकारी के आइसीआइसीआई बैंक के उस खाता मे जा रही है जिसका न उनके पास पासबुक है न एटीएम कार्ड। जालसाजी के शिकार हुए सुधा एचपी गैस एजेंसी के उपभोक्ताओ को एजेंसी यह भी नहीं बता रही है कि आइसीआइसीआइ बैंक का खाता किसने अपडेट कराया अथवा खाता बैंक के किस ब्रांच की है । बैंक खाता कैंप लगाकर खोलने वाले लोग बैंक के किस ब्रांच के लोग थे तथा उन्हें गैस उपभोक्ता संख्या कैसे मालूम हुआ, इसका भी पता नहीं चल पा रहा है। अब ग्रामीणों की शिकायत पर गैस एजेंसी अपने स्तर से मामले की जांच कर रही है।