शुक्रवार से नई उत्पाद नीति लागू होने के बाद जिले के देशी से लेकर सभी अंग्रेजी शराब की दुकानें बंद हो गयी। नई उत्पाद नीति लागू होने के बाद जिला मुख्यालय में आठ शराब की दुकानें खोलने की प्रक्रिया अभी चल रही है। ऐसे में वैध रूप से अब जिले में शराब की एक कतरा भी उपलब्ध नहीं है। लेकिन ऐसी स्थिति में शराब के शौकिनों को शराब की कमी नहीं खली। दुकानें बंद होने के बाद भी उन्होंने शराब का इंतजाम करके छक कर शराब का सेवन किया। इसका नजारा सड़कों पर भी दिखा। जिले के प्रखंड मुख्यालय से लेकर कस्बों में कई शराबी नशे की हालत में सड़क पर पड़े दिखे। हथुआ में तो
जीप स्टैंड के समीप हथुआ थाना बोर्ड से सटे एक शराबी शुक्रवार की सुबह से ही नशे की हालत में उधम मचाता रहा। यह कभी सड़क पर लेट जाता तो कभी खड़े होकर लड़खड़ाते हुए गाना गाने लगता। इसकी हरकत तब तक चलती रही जब तक ही वह सड़क पर गिर कर बेसुध नहीं हो गया। हालांकि नई उत्पाद नीति के तहत सड़क पर शराब पीकर घूमने वालों को नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती करना है। इसके लिए सदर अस्पताल में नशा मुक्ति केंद्र भी खोल दिया गया है। लेकिन इसके बाद भी सड़क पर शराबी लड़खड़ाते रहे। फिर भी प्रशासन ने न तो उन्हे नशा मुक्ति केंद्र पहुंचाया या ना ही इस बात का पता किया गया कि आखिर सभी सरकारी दुकानें बंद हो जाने के बाद भी आखिर शराब कहां से उपलब्ध हुई।
भोजनालयों पर पसरा सन्नाटा
मीरगंज नगर सहित हथुआ में जगह जगह खुले भोजनालयों में शुक्रवार को सन्नाटा पसरा रहा। नई उत्पाद नीति लागू होने के साथ ही कई भोजनालयों में ताला लटक गया। लेकिन इन भोजनालयों की स्थिति नई शराब नीति लागू होने से पहले ऐसी नहीं थी। ये भोजनालय दिन भर गुलजार रहते थे। स्थानीय लोग बताते हैं कि जगह जगह शराब की दुकानें खुलने के बाद से उसके आसपास झोपड़ी से लेकर छोटी छोटी दुकानों में भोजनालय खुल गए थे। यह भोजनालय शराबियों का अड्डा बने हुए थे। शराब की दुकान से शराब खरीद कर इन्हीं भोजनालय में शराबी मांस मछली के साथ शराब की चुस्की लिया करते थे। लेकिन शुक्रवार को नई उत्पाद नीति लागू होने के साथ ही यहां सन्नाटा पसर गया। कई भोजनालयों में ताला लटक गया।