हाल के दिनों में बाल अपराध के बढ़ते मामले व आपराधिक घटनाओं की प्रकृति खतरनाक संदेश दे रहे हैं। हरेक माह बढ़ते बाल अपराध व अपराधियों की संख्या बढ़ती जा रही है। किशोर न्यायालय में दर्ज होने वाले बाल अपराध के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। बावजूद इसके कम उम्र में ही अपराध की घटनाओं की ओर आकर्षित होने वाले किशोरों को इस ओर जाने से रोकने की दिशा में समूचित प्रयास नहीं हो पा रहे हैं।
ऐसी बात नहीं कि पूर्व में बाल अपराध की घटनाएं नहीं होती थीं। पूर्व के दिनों में भी बाल अपराध की घटनाएं होती रहीं हैं। लेकिन पिछले पांच साल की अवधि में बाल अपराध के आंकड़ों को अप्रत्याशित तरीके से वृद्धि दर्ज की गयी है। आंकड़े बताते हैं कि कम उम्र के बच्चों द्वारा की जाने वाली आपराधिक घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। इनमें हत्या, अपहरण व लूट जैसी संगीन वारदातों के अलावा चोरी की घटनाएं भी काफी अधिक हैं। हाल के दिनों में शहर में हो रही बाइक चोरी व दुकानों में चोरी की घटनाओं में बाल अपराधियों की संलिप्तता के कई मामले प्रकाश में आ चुके हैं। पूरे जिले में अकेले वर्ष 2015 के दौरान 50 से अधिक बाल अपराधियों की गिरफ्तारी तथा कई के विरुद्ध ट्रायल प्रारंभ करने की सिफारिश के आंकड़े इस बात के गवाह हैं। ये आंकड़े कम उम्र के बच्चों का अपराध की ओर झुकाव होने की ओर इशारा करते हैं।
चौंकाने वाले हैं पुलिस के आंकड़े
बाल अपराध को लेकर पुलिस के आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं। अकेले वर्ष 2015 में थानों में दर्ज किये गये संगीन आपराधिक मामलों में साठ से अधिक कम उम्र के बच्चों को आरोपी बनाया गया है। इनमें हत्या, लूट व चोरी की वारदातें भी शामिल हैं।
बढ़ रही किशोर न्यायालय में वाद की संख्या
किशोर न्यायालय में बाल अपराध को लेकर दर्ज होने वाली आपराधिक मामलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। आंकड़े बताते हैं कि वर्तमान समय में किशोर न्यायालय में एक हजार से अधिक आपराधिक मामले में लंबित हैं।
कहते हैं समाजशास्त्री
कम उम्र के बच्चों का अपराध की ओर रुख करना खतरे का संकेत है। आपराधिक वारदातों में इनकी संलिप्तता की घटनाओं को देखते हुए बच्चों को बेहतर शिक्षा दिये जाने के साथ ही उन्हें भटकने से रोकने के लिए सामूहिक रूप से प्रयास किये जाने की दिशा में कार्रवाई करने की जरुरत है।
आनंद किशोर पांडेय
समाजशास्त्री