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नहीं मिल रहा पॉल्ट्री फॉर्म संचालकों को ऋण।

बैंकों की मनमानी के कारण यहां छोटे उद्योग का पनपना दिनोंदिन मुश्किल होता जा रहा है। आलम यह है कि बैंकों में ऋण के लिए आवेदन देने पाले युवक ऋण पाने की आस में महीनों बैंक का चक्कर लगाने को विवश होते हैं। इसके बाद भी उन्हें ऋण मिलेगा, अथवा नहीं इस बात की कोई गारंटी नहीं।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि छोटे उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने पोल्ट्री फार्म तथा मत्स्य पालन का कारोबार करने वाले लोंगों को ऋण मुहैया करने का निर्णय लिया था। इसके लिए तमाम बैंकों को दिशानिर्देश जारी किये गये। बावजूद इसके यहां वर्तमान वित्तीय वर्ष के आंकड़े बताते हैं कि सात माह की लंबी अवधि बीतने के बाद भी पोल्ट्री फार्म लगाने के लिए मात्र एक आवेदक को ही ऋण बैंक ने उपलब्ध कराया है। कमोबेश यहीं स्थिति मत्स्य पालन की है। सरकारी स्तर पर दबाव के बाद भी बैंकों की मनमानी के कारण उद्यमी अपना कारोबार शुरु करने से वंचित रहने को विवश हैं।

क्या है पोल्ट्री ऋण का लक्ष्य

जिला लीड बैंक के सूत्रों की माने तो वर्तमान वित्तीय वर्ष में पोल्ट्री के कारोबार के लिए 1129 लोगों को ऋण मुहैया कराने का लक्ष्य वर्तमान वित्तीय वर्ष में दिया गया है। इसके विरुद्ध यूनियन बैंक आफ इंडिया ने मात्र एक कारोबारी को एक लाख रुपये का ऋण मुहैया कराया है। अन्य बैंकों की उपलब्धि शून्य है।

मत्स्य ऋण का क्या है लक्ष्य

मत्स्य पालन के लिए पूरे जिले में वर्तमान वर्ष में 861 लोगों को ऋण दिये जाने का लक्ष्य निर्धारित है। इसके विरुद्ध मात्र 24 लाभुकों को 26.16 लाख रुपये का ऋण मुहैया कराया गया है।

ऋण का लक्ष्य व उपलब्धि

ऋण मद लक्ष्य उपलब्धि

पोल्ट्री 1129 01

मत्स्य 861 32

डेयरी 5083 131

कुल 7073 164

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