हर साल बढ़ रही एड्स रोगियों की संख्या

 इनकी मजबूरी है परदेश जाना, आर्थिक तंगी इन्हें घर परिवार छोड़ कर बाहर जाने को विवश कर देती है। और यही मजबूरी जिले में एड्स पीड़ितों की संख्या बढ़ाने का कारण भी बनती जा रही है। पिछले 180 दिनों में अस्पताल आए मरीजों की जांच के बाद उपलब्ध आंकड़े सचमुच चौंकाने वाले हैं। तमाम प्रयासों के बाद भी एड्स रोगियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। पिछले 180 दिनों में लोगों के रक्त की जांच के बाद 98 से भी अधिक मरीजों में एड्स के लक्षण दिखायी पड़े हैं। यह आंकड़ा पिछले दस साल में बारह सौ के पार पहुंच गया है। ऐसे में इस जिले से बाहर जाकर कमाने वाले हर शख्स के परिजन का अंर्तमन यह बोलने को मजबूर है-'.. भले परदेश जाई पर एड्स न ले आई'।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि एड्स से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने पर्याप्त प्रचार प्रसार की व्यवस्था की है। इस कार्य पर प्रति वर्ष लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं। इसके बाद भी एड्स पर लगाम नहीं लग पा रहा है। वैसे तो अबतक की जांच रिपोर्ट में पूरे जिले में एड्स रोगियों की संख्या 1209 बतायी जाती है। लेकिन पिछले वर्ष तथा वर्तमान वर्ष में अबतक के सरकारी आंकड़े इस रोग की विकरालता के बारे में नयी कहानी पेश कर रहे हैं। इस रोग ने तेजी से अपना पांव पसारना शुरू कर दिया है। आंकड़े बताते हैं कि परदेश जाने वाले युवा वर्ग में एचआईवी पाजेटिव अधिक पाया जा रहा है। हाल के दिनों में इस रोग से बचाव के उपायों के बारे में प्रचार प्रसार में कमी आना भी इसकी संख्या लगातार बढ़ने का कारण बताया जा रहा है।

पिछले चार माह के आंकड़े

माह जांच मिले लक्षण

अप्रैल 333 19

मई 289 30

जून 254 22

जुलाई 337 27

कुल 1213 98

एचआईवी लक्षण के आंकड़े वर्षवार

2003 15

2004 34

2005 74

2006 78

2007 75

2008 88

2009 120

2010 140

2011 181

2012 90

2013 105

2014 113

2015 98

क्या कहते हैं अधिकारी

एचआइवी जांच के लिए हमेशा जांच शिविर आयोजित किये जाते हैं। पिछले ही माह चिन्हित किये गये छह प्रखंडों में कैंप आयोजित किये गये थे। कई लोगों की जांच में एचआइवी पाजेटिव मिले थे। स्वास्थ्य विभाग इस रोग से बचाव के लिए व्यापक प्रचार अभियान चला रहा है।

डा. मदेश्वर प्रसाद शर्मा

सिविल सर्जन

Ads:






Ads Enquiry