गन्ने के साथ आलू लगाएं या लहसुन मिलेगा अनुदान

किसान गन्ने के साथ सह फसली कर दो नगदी फसल का लाभ ले सकते हैं। गन्ना के साथ सह फसली करने में किसानों को अधिक लागत भी नहीं आएगी। सह फसली करने वाले किसानों को अनुदान भी मिलेगा और प्रशिक्षण भी। अनुदान अपने-अपने पोषक क्षेत्र के किसानों को चीनी मिलें देंगी। गन्ना विकास विभाग के अनुसार सरकार गन्ना के साथ सह फसली को बढ़ावा देने के लिए किसानों को कई सुविधाएं दे रही हैं। सहफसली करने वाले किसानों को अनुदान के साथ ही प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। अनुदान और प्रशिक्षण की जिम्मेदारी चीनी मिलों को दी गयी है। अभी शरदकालीन गन्ना लगाने का समय है। शरदकालीन गन्ना की पैदावार बसंतकालीन ईख की तुलना में 20-25 प्रतिशत तथा चीनी का परता(रिकवरी) 0:5 इकाई होने के बावजूद इसका क्षेत्रफल सीमित है। प्रारंभिक अवस्था में शरदकालीन गन्ना में दो पक्तियों के बीच में काफी रिक्त स्थान होता है और फसल की वानस्पिति विकास कम तापमान के कारण बहुत ही धीमी गति से होता है। ऐसी अवस्था में रिक्त स्थानों में सहफसल व संसाधनों का उचित उपयोग कर शरदकालीन गन्ना की खेती को अधिक टिकाऊ बनाकर इसका क्षेत्रफल भी बढ़ाया जा सकता है। सरकार का जोर भी गन्ना के साथ सह फसली पर है। इसके लिए चीनी मिलों के माध्यम से किसानों को सह फसली की लागत पर अनुदान भी दिया जा रहा है। शरदकालीन गन्ना में सह फसली के लिए आलू से लेकर मंगरैला तक के प्रभेद भी विकसित किये गए हैं। जिससे किसान दोहरा लाभ ले सकते हैं।

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