डाक लायें या आने वाली आफत पर नजर रखें वाचर

इनका काम जिले की सीमा में संभावित किसी भी गड़बड़ी की आशंका के बारे में सरकार व प्रशासन को समय रहते आगाह कर देना है। साथ ही नक्सली घटनाओं से लेकर वीआइपी की सुरक्षा के बारे में पूरी जानकारी रखना तथा महत्वपूर्ण गोपनीय सूचनाओं को एकत्रित करना भी इनकी जिम्मेदारी है। बावजूद इसके विशेष शाखा के नाम से जाना जाने वाले इस कार्यालय के पास संसाधन के नाम पर एक टेबल व दो कुर्सियां ही उपलब्ध है। हालत यह है कि यहां काम करने वाले अधिकारी, खुद ही डाक ढोते हैं और खुद ही क्लर्क भी हैं। वाचर से लेकर तमाम पद रिक्त पड़ें हैं।

नगर के बीचोंबीच स्थित व्यवहार न्यायालय परिसर में लोक अभियोजक के कार्यालय के ठीक बगल में स्थित एक कमरे में चल रहे इस विशेष शाखा में प्रवेश करते ही समस्याएं दिखने लगती हैं। कार्यालय में रखी संचिकाएं सड़ रही हैं। एक टेबल तथा दो कुर्सियों ही इस कार्यालय की संपत्ति है। इसके अलावा संसाधन के नाम पर पूरे कार्यालय के पास कुछ भी उपलब्ध नहीं है। कार्यालय में संचिकाओं को तैयार करने के लिए तैनात रीडर बाबू का पद भी रिक्त है। ऐसे में कार्यालय में तैनात जीओ (ग्रुप आफिसर) खुद ही संचिकाओं का निबटारा करते हैं। स्वीकृत पदों की बात करें तो इस कार्यालय में एक जीओ के अलावा एसबीओ के तीन पद सृजित है। हरेक एसबीओ तथा जीओ के साथ एक एक-एक वाचर की तैनाती की व्यवस्था है। बावजूद इसके वाचर का पद पिछले चार साल से रिक्त पड़ा है। हद तो यह कि इतने महत्वपूर्ण विभाग के पास एक गाड़ी तक नहीं है। ऐसे में संभावित खतरे की जानकारी इकट्ठा करने में इन्हें पैदल ही रास्ता नापना पड़ता है। कार्यालय में ना ही टेलीफोन है और ना ही किसी के पास सरकारी मोबाइल ही उपलब्ध है। हां जीओ (ग्रुप आफिसर) को एक सरकारी सिमकार्ड जरुर उपलब्ध कराया गया है। ज्ञातव्य है कि तीनों एसबीओ की तैनाती बरौली, गोपालगंज तथा हथुआ में की गई है।

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