जिले की मांझा पुलिस का बेरहम चेहरा एक बार फिर सामने आया है. जब अतिक्रमण हटाने गई पुलिस से घरवालों ने कोर्ट नोटिस की मांग की. तब मांझा पुलिस ने नोटिस देने के बजाये घर वालो की बेरहमी से पिटाई कर दी. सबसे दुखद पहलु यह है कि पुलिस की बेरहमी से की गयी पिटाई में सिर्फ घर के पुरुष सदस्य ही नहीं बल्कि बूढी महिलाएं और बच्चिया भी शामिल है. घटना मांझा थाना क्षेत्र के लहलादपुर गांव की है. जो पुलिसिया जुर्म की कहानी बयां कर रही है.
अस्पातल की बेड पर दर्द से कराहते ये लोग, यह चीत्कार, इन बूढी आँखों में पुलिसिया खौफ और आंखो से झरते आंसू. यह किसी और ने नही बल्कि गोपालगंज की मांझागढ़ पुलिस ने दी है. जी, हां पुलिसिया पिटाई से जख्मी ये लोग सदर अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड में है. दर्द से कराहते इन बेकसूर लोगो का कसूर बस इतना था की वे अतिक्रमण हटाने आई पुलिस से सिर्फ कोर्ट की नोटिस की मांग कर बैठे.
दरअसल गुरुवार को मांझा सीओ राजेश कुमार और मांझा थानाध्यक्ष राजरूप राय जेसीबी के साथ लहलाद्पुर गांव पहुंचे. यहाँ गांव के ही काशीनाथ मांझी ने अपने पडोसी फौजदार मांझी के घर के बगल में कुछ सरकारी जमींन पर अतिक्रमण कर लिया था. जिसको लेकर डीएम के कोर्ट आदेश के बाद कल सीओ और थानाध्यक्ष अतिक्रमण हटवाने गए थे. पीड़ित परिजनों के मुताबिक अतिक्रमण हटवाने के दौरान पुलिस ने घर में घुसकर घर के सभी सदस्यों की बेरहमी से पिटाई की.
इस पिटाई में लालधारी देवी, बसंती देवी, पृथ्वीनाथ मांझी सहित घर के 11 लोग बुरी तरह जख्मी हो गए. पीड़ित परिजनों के शरीर पर पिटाई के निशान पुलिसिया बर्बरता की कहानी खुद बयान करते है. पीड़ित पृथ्वी नाथ मांझी के मुताबिक उनके द्वारा महज एक धुर जमीन के अतिक्रमण को लेकर पडोसी फौजदार मांझी ने शिकायत दर्ज कराई थी.
जिसको लेकर पुलिस ने यहाँ बर्बर करवाई की. जिसमें घर के सभी सदस्यों की बेरहमी से पिटाई कर दी गयी.हालाकिं मांझा थानाध्यक्ष राजरूप राय के मुताबिक कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस टीम अतिक्रमण हटवाने गई थी. मांझा थानाध्यक्ष ने किसी भी तरह की पिटाई से पूरी तरह इंकार किया है.