Tue, 11 April 2016
गोपालगंज। जल ही जीवन का आधार है। लेकिन दूषित जल बीमारियों का कारण भी बनता जा रहा है। दूषित जल पीने से बीमार लोगों की संख्या में दिनोंदिन इजाफा इस बात का सबूत है। आज पेट जनित तमाम बीमारियों का कारण चिकित्सक जल में गड़बड़ी को ही कारण बताते हैं। कुछ चिकित्सक को पानी उबाल कर पीने या उसकी शुद्धता की जांच कराकर ही इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। इसके बाद भी ग्रामीण इलाकों में लोग जागरुकता की कमी के कारण दूषित जल पीकर बीमारियों को न्योता दे रहे हैं।
वैसे सरकारी स्तर पर दूषित जल को पीने से रोकने के दिशा में कई अभियान की शुरुआत की गई है। बावजूद इसके लोग दूषित जल का इस्तेमाल करते हैं। इसके पीछे असली कारण आम लोगों में जल की शुद्धता का पता लगाने के लिए जानकारी का अभाव है। हालांकि जल जांच के लिए स्थापित प्रयोगशाला यहां स्थित चापाकलों के जल में आयरन की अधिकता की बात कहता है। इस प्रयोगशाला के आंकड़ों की मानें तो दो से चार प्रतिशत चापाकलों से निकलने वाले जल में आयरन की अधिकता है।
नाला पर स्थित हैं चापाकल
जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण इलाकों में भी कई चापाकल नाले के उपर बनाए गये हैं। हद तो यह कि सदर अनुमंडल कार्यालय के आगे स्थित इंडिया मार्का हैंडपंप नाले के ठीक बगल में लगाया गया है। इस चापाकल के आसपास भी गंदगी चारों ओर पसरी हुई है। ग्रामीण इलाकों में भी यह स्थिति हर ओर है।
बीमारियों का जड़ है दूषित जल
दूषित जल पीने से कई संक्रामक बीमारियां फैलने की संभावना बनी रहती है। दूषित जल के कारण पीलिया व डायरिया जैसी बीमारियों की संख्या अधिक बढ़ती है। इसके अलावा पेट जनित कई बीमारियों को दूषित जल न्योता देता है।
क्या कहते हैं चिकित्सक
आज के समय में दूषित जल कई समस्याओं का जड़ है। ऐसे में लोगों को शुद्ध पेयजल पीने की व्यवस्था करनी चाहिए। अगर कोई व्यक्ति आरओ का पानी पीने में सक्षम नहीं है तो उसे पानी को उबालने के बाद उसे ठंडा कर पीना चाहिए। खास तौर पर गर्मी के दिनों में पेट जनित बीमारी बढ़ जाती है। ऐसे में इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
सुनील कुमार रंजन
चिकित्सक