जादोपुर-मंगलपुर महासेतु के चालू हो जाने से न सिर्फ गोपालगंज तथा बेतिया के बीच दूरी पचास किलोमीटर कम हो जाएगी। बल्कि गंडक के दियारा इलाके के विकास को भी नया आयाम मिलेगा।
गंडक नदी का दियारा इलाका आज भी पिछड़ेपन का दंश झेल रहा है। खेती और पशुपालन ही इस इलाके के लोगों की जीविका का आज भी मुख्य साधन है। लेकिन आवागमन के साधन के अभाव और हर साल आने वाली बाढ़ तथा कटाव के कारण इस इलाके में न तो बाजार विकसित हो सका और न ही लोगों के रोजगार के लिए कोई अन्य साधन ही उपलब्ध हो सका। गंडक नदी के कटाव तथा धारा बदलने के कारण भी दियारा इलाके कई गांवों के खेती की चौहद्दियां बदलती रहती हैं। धार बदलने से खेत नदी के उस पार चले जाते हैं। जिससे किसान नदी के उस पार अपने खेतों में खेती नहीं कर पाते हैं। ऐसी स्थिति को देखते हुए जिले के जादोपुर और बेतिया के मंगलपुर के बीच पुल बनाने की योजना बनी। 19 जनवरी 2009 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जादोपुर मंगललपुर महासेतु निर्माण कार्य का शिलान्यास किया था और उन्होने ही शिलान्यास के सात साल बाद इस पुल का उद्घाटन किया।
नक्सलियों ने किया था हमला
जादोपुर मंगलपुर पुल निर्माण कार्य में कई बाधाएं भी आई। बीच में तो एक समय ऐसा भी आया कि यह आशंका उठने लगी थी कि कहीं पुल निर्माण का कार्य लटक न जाए। पुल निर्माण में गंडक नदी बदल रही धारा तो परेशानी का कारण था ही। इसी बीच 2013 में निर्माण कंपनी के बेस कैंप पर नक्सलियों ने धावा बोल कर एक सुपरवाइजर सहित कंपनी के दो कर्मचारियों की हत्या कर दी थी। लेवी की मांग को लेकर नक्सलियों के इस हमले के बाद निर्माण कंपनी ने काम को बंद कर दिया। जिससे करीब सात महीने तक कार्य पूरी तरफ ठप रहा। हालांकि बाद में कंपनी के कैंप कार्यालय में सुरक्षा बल को तैनात करने के बाद फिर से काम शुरू किया गया। बताया जाता है कि इस पुल को 2013 में ही पूरा हो जाना था। नक्सली हमले के कारण कार्य में आयी सुस्ती के कारण तीन साल बाद कार्य पूरा हो सका। इसी बीच करीब तीन सौ करोड़ की लागत भी बढ़ कर 548 करोड़ हो गयी।
पुल से संबंधित मुख्य बातें
- लागत - 548 करोड़
- कुल लंबाई - 1920 मीटर
- संपर्क पथ की लंबाई - 21.45 किमी
- पुल की चौड़ाई- 12 मीटर
- लेन की संख्या - 2 लेन
- कार्य आरंभ - जून 2009
- पुल का उद्घाटन - 13 मार्च 2016