स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जिले के कई सपूतों ने देश के लिए काफी कुछ किया। इन्हीं में शामिल थे कमला बाबू। शिक्षा ग्रहण करने के दौरान ही उन्होंने बीच में ही पढ़ाई छोड़कर महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह में भाग लिया। नमक बनाने के आरोप में उन्हें छह माह जेल की सजा हुई। पूरे स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उन्होंने घूम-घूम कर लोगों को इस संग्राम में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। इसी दौरान भारत छोड़ो आंदोलन के समय चंपारण जाने के क्रम में गंडक नदी के किनारे से गिरफ्तार कर लिया गया। इस बार उन्हें दो साल की सजा मिली।
मार्च 1909 में गोपालगंज प्रखंड के कररिया गांव में कमला राय का जन्म एक मध्यम वर्गीय किसान परिवार में हुआ था। 1923 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा वीएम हाई स्कूल से पास की। पढ़ाई के दौरान ही देशरत्न डा. राजेन्द्र प्रसाद तथा अनुग्रह नारायण सिंह की प्रेरणा से वे आंदोलन में कूद पड़े। 1930 में महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह के दौरान उन्होंने नमक कानून को तोड़ते हुए जादोपुर में नमक बनाया। इस कानून को तोड़ने के आरोप में उन्हें अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया। इस दौरान वे छह माह तक जेल में रहे। जेल से छूटने के बाद कमला बाबू ने घूम-घूम कर लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में कूदने के लिए प्रेरित करना शुरू किया। इनकी प्रेरणा से दर्जनों लोग इस आंदोलन में कूद पड़े। 1937 में हुए किसान आंदोलन के दौरान भी उन्हें अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। छह माह बाद जेल से रिहा हुए। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान चंपारण जाने के क्रम में अंग्रेजों ने मलाही में भारत रक्षा एक्ट के तहत उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उन्हें दो साल की सजा हुई। मोतिहारी जिला जेल तथा पटना कैम्प जेल में उन्होंने सजा काटी। भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद जिला बोर्ड के चुनाव में वे कटेया से चुनाव लड़े और विजयी रहे। नवम्बर 1947 में हुए सारण जिला बोर्ड के चेयरमैन बने। इस पद पर रहते हुए उन्होंने पूरे सारण जिले में स्कूल व कालेजों की स्थापना पर बल दिया। इस दौरान उन्होंने गोपालगंज नगर में गांधी भवन का निर्माण कराया। इसी गांधी भवन में गांधी महाविद्यालय संचालित हो रहा है। 1952 के विस चुनाव में वे गोपालगंज विस क्षेत्र से विधायक चुने गए। 1955 में वे वीएम हाई स्कूल के सचिव बने तथा 1956 में गोपालगंज महाविद्यालय की स्थापना की। इस कालेज के लिए उन्होंने दस एकड़ जमीन की व्यवस्था की तथा उसपर महाविद्यालय का निर्माण कार्य शुरू कराया। छपरा के जगदम कालेज की स्थापना में भी उनका बड़ा योगदान था। 19 फरवरी 1961 को उनका निधन हो गया। कमला बाबू ने स्वतंत्रता संग्राम के बाद शिक्षा के क्षेत्र में गोपालगंज जिला ही नहीं पड़ोसी सिवान तथा छपरा जिले में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया था।