आंगनबाड़ी केन्द्रों के संचालन के नाम पर प्रति वर्ष करोड़ों की राशि खर्च की जा रही है। लेकिन इसकी संरचना के लिए संसाधन का अभाव दिखता है। भवन के अभाव में कई केन्द्र आज भी निजी बथान व मकान में संचालित हो रहे हैं। प्रशासनिक आदेशों के बाद भी दर्जनों केन्द्रों को आजतक सरकारी भवन या विद्यालयों में नहीं ले जाया जा सका है। सेविका की मनमर्जी के कारण विभाग लाचार बन गया है।
सरकारी आंकड़ों की मानें तो जिले में संचालित कुल 2209 आंगनबाड़ी केन्द्रों में से मात्र 829 के लिए भवन उपलब्ध कराया जा सका है। लेकिन विभाग यह बात दावे के साथ नहीं कह रहा कि 829 केन्द्र आज के दिन में अपने भवन में संचालित हो रहे हैं। सरकारी आंकड़ों को मानें तो 327 केन्द्रों के लिए भवन निर्माण की प्रक्रिया चल रही है। जबकि 427 के लिए भूमि उपलब्ध करा दिया गया है। इन केन्द्रों पर आंगनबाड़ी का निर्माण कार्य कब तक होगा, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। जिला प्रोग्राम कार्यालय के आंकड़े बताते हैं कि 626 केन्द्रों के लिए भूमि की तलाश का कार्य आजतक पूर्ण नहीं हो सका है। ऐसे में पूरे जिले में कुल 1380 केन्द्रों को अपना भवन नसीब नहीं हो सका है।
सत्तर प्रतिशत आंगनबाड़ी केन्द्र पर नहीं बने शौचालय
योजना तो बनी कि सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर शौचालय उपलब्ध कराने की। बावजूद इसके इस दिशा में कारगर प्रयास नहीं करने का ही नतीजा है कि अबतक जिले के मात्र तीस प्रतिशत आंगनबाड़ी केन्द्रों को ही शौचालय नसीब हो सका है। हद तो यह है कि जिले के 14 में से करीब आधे प्रखंड ऐसे भी हैं जहां अस्सी प्रतिशत से भी अधिक आंगनबाड़ी केन्द्र में शौचालय का निर्माण नहीं हो सका है।
जानकारी के अनुसार ग्रामीण इलाकों में संपूर्ण स्वच्छता के लिए सरकार ने लोक स्वास्थ्य प्रमंडल के माध्यम से सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर शौचालयों का निर्माण कराने की योजना को अंतिम रूप दिया था। आंगनबाड़ी केन्द्रों के अलावा इस योजना में तमाम वैसे विद्यालय भी शामिल थे जहां शौचालय नहीं है। इस कार्य के लिए सरकार ने राशि भी विमुक्त कर दिया। बावजूद इसके जिले में आंगनबाड़ी केन्द्रों की दशा काफी लचर है। आंकड़े बताते हैं कि जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों में से केवल तीस प्रतिशत केन्द्रों को ही अबतक शौचालय दिया जा सका है। शेष 70 प्रतिशत केन्द्रों के बच्चों को शौचालय की सुविधा उपलब्ध नहीं है। हालांकि बाल विकास परियोजना विभाग इस उम्मीद के साथ बैठा है कि जहां नये भवन बनेंगे वहां शौचालय का निर्माण जरुर किया जाएगा। बावजूद इसके जिला प्रोग्राम कार्यालय को इस बात की जानकारी नहीं है कि जिले में कितने आंगनबाड़ी केन्द्रों को शौचालय उपलब्ध कराया जा चुका है तथा कितने को शौचालय दिया जाना शेष है।
क्या है भवन उपलब्धता की स्थिति
प्रखंड भूमिहीन भवनहीन
बैकुंठपुर 98 10
सिधवलिया 16 45
बरौली 123 30
मांझा 105 14
गोपालगंज 93 11
थावे 25 00
कुचायकोट 91 46
उंचकागांव 34 36
फुलवरिया 10 41
भोरे 03 58
कटेया 10 55
विजयीपुर 05 46
पंचदेवरी 13 35
कुल 626 427