अभी राइस मिलों के चयन में ही अटका प्रशासन

धान खरीद का अभियान कागज पर पांच दिसम्बर से ही प्रारंभ किया जा चुका है। लेकिन सुस्ती का आलम यह है कि प्रशासनिक स्तर पर अबतक राइस मिलों तक की पहचान आधिकारिक रूप से नहीं की गयी है। ऐसे में पैक्स से राइस मिलों को टैग करने का कार्य भी नहीं हो सका है।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस साल धान क्रय के अभियान को सहकारिता विभाग ने नए रूप से प्रारंभ करने का निर्णय लिया था। इसके तहत पैक्स व व्यापार मंडल में धान का क्रय करने के बाद उसकी मिलिंग कराने का जिम्मा पैक्स को ही दिया गया। यानि पैक्स धान का क्रय करने के बाद उसकी मिलिंग अपने स्तर पर कराएंगे। इसके बाद एसएफसी को अब सीधे चावल उपलब्ध कराया जाएगा। नई व्यवस्था को कारगर बनाने के लिए चावल मिलों को चिन्हित करने का कार्य एसएफसी तथा जिला प्रशासन का था। लेकिन यहां स्थिति यह है कि धान क्रय का कार्य कागज पर प्रारंभ होने के बाद भी किसी भी पैक्स के लिए चावल मिल का ही निर्धारण नहीं हो सका है। ऐसे में धान क्रय अभियान अब भी कागज में ही अटका हुआ दिख रहा है।

बगैर एग्रीमेंट कैसे हो खरीद

पैक्स धान क्रय की नई प्रक्रिया के बहाने धान लेने से बच रहे हैं। कई पैक्स के अधिकारी बताते हैं कि जब तक चावल मिलों से करार नहीं हो जाता, वे धान कैसे खरीदें। पैक्सों ने बताया कि उनके पास पैसा निर्धारित है। अगर वे धान क्रय कर उसे रख लेंगे को उनकी जमा पूंजी फंस जाएगी। ऐसे में पहले चावल मिल से एग्रीमेंट किया जाएगा। ताकि धान क्रय होने के बाद उसे तत्काल मिलिंग के लिए भेज दिया जाय।

सवाल पूछने पर खुद सवाल दागते हैं आपूर्ति पदाधिकारी

जिला आपूर्ति पदाधिकारी कृष्ण मोहन प्रसाद धान क्रय के बारे में सवाल पूछने पर खुद सवाल दाग देते हैं। जब धान क्रय केन्द्र बंद होने के संबंध में उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आप इसे बंद कैसे मानते हैं। हमारे सभी केन्द्र खुले हैं। धान में नमी है, ऐसे में धान का क्रय नहीं हो पा रहा। राइस मिल चयन व पैक्स का उनसे एग्रीमेंट होने के संबंध में पूछा गया तो आपूर्ति पदाधिकारी ने बताया कि यह कार्य भी जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा।

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