हर दिन नहीं होता मरीजों का इलाज

सुदूर ग्रामीण इलाकों में स्थित अस्पतालों की दशा को सुधारने की दिशा में भले ही कागजी स्तर पर कार्रवाई की गई है। लेकिन अब भी ग्रामीण इलाकों में स्थित अस्पतालों की दशा कहीं से ठीक नजर नहीं आती। आज भी अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्रों पर चिकित्सकों का नहीं आना एक बड़ी समस्या है। ऐसे में यहां ओपीडी की सुविधा भी नहीं के बराबर ही लोगों को मिल पाती है।

दूर दराज के इलाकों के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से विभिन्न स्थानों पर छह शैया वाले 22 अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना की गई। इनका उद्देश्य लोगों को तत्काल स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना था। लेकिन स्थापना के एक-दो साल के अंदर ही तमाम अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्रों की कलई खुल गयी। नई व्यवस्था में अस्पतालों की दशा को सुधारने के दिशा में व्यापक प्रयास किया गया। इसका असर भी दिखने लगा है। बावजूद इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्रों की दशा में कोई खास अंतर नहीं आया है। हालांकि सरकारी स्तर पर इन केन्द्रों में ओपीडी की सुविधा शुरू करने के लिए सरकारी चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति की गई है। इन केन्द्रों पर सप्ताह में एक दिन एक या दो घंटे के लिए चिकित्सक मुश्किल से आ पाते हैं। ऐसे में सप्ताह में एक-दो दिन को छोड़कर ये केन्द्र अधिकांश समय बंद ही मिलते हैं।

अब भी आते हैं मरीज

   भले ही अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्रों पर चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों की उपस्थिति नहीं के बराबर होती हो, लेकिन इसके बाद भी यहां मरीज आते हैं। कभी कभार कोई चिकित्सक मिल गया तो उनका इलाज हो गया, अन्यथा जिला व प्रखंड स्तरीय अस्पताल ही इनके लिए सहारा है।

यहां चलते हैं अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र

प्रखंड केन्द्र का नाम

बैकुंठपुर रेवतीथ

बरौली लड़ौली

बरौली बेलसंड

भोरे लामीचौर

भोरे सिसई

भोरे लाला छापर

गोपालगंज जादोपुर

हथुआ कुसौंधी

कटेया रसौती

कुचायकोट जलालपुर

कुचायकोट नरहवां शुक्ल

कुचायकोट करवतहीं

मांझा कोईनी

मांझा गौसियां

पंचदेवरी पंचदेवरी

पंचदेवरी गहनी चकिया

फुलवरिया सेलार कला

फुलवरिया बथुआ बाजार

फुलवरिया कररिया

सिधवलिया महम्मदपुर

उंचकागांव मीरगंज

उंचकागांव तुरकहां

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