सामूहिक प्रयास से न्यायालयों पर मुकदमा के बोझ को कम किया जा सकता है, क्योंकि किसी भी वाद के निबटारे में मध्यस्थ की भूमिका अहम होती है। मध्यस्थता के लिए हम सभी को अपने स्तर से प्रयास करना चाहिए। शनिवार को व्यवहार न्यायालय के सभा कक्ष में मध्यस्थता जागरुकता कार्यक्रम को जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुनील दत्त मिश्र संबोधित कर रहे थे।
समारोह के दौरान जिला जज ने कहा कि आज के समय में न्यायालयों पर मुकदमों का बोझ अधिक है। इसे कम करने के लिए मध्यस्थता सबसे कारगर उपाय है। मध्यस्थ के माध्यम से किसी भी मामले को न्यायालय जाने के पूर्व ही समाप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मध्यस्थ की भूमिका में कोई भी व्यक्ति हो सकता है। मध्यस्थ पक्षकारों के सगे संबंधी या रिश्तेदार भी हो सकते हैं। ऐसे में पक्षकार मध्यस्थ को पूरी बात की जानकारी दे सकते हैं। इसके आधार पर मध्यस्थ मामले का सर्वमान्य हल निकालने के दिशा में प्रयास कर सकता है। उन्होंने कहा कि आज के बदलते समाज में मध्यस्थ की भूमिका को हर व्यक्ति स्वीकार कर रहा है। इस मौके पर एडीजे प्रथम अमर ज्योति श्रीवास्तव के अलावा कई न्यायिक पदाधिकारी, अधिवक्ता देवेन्द्र पाण्डेय, रामबाबू प्रसाद सिंह, अब्दुल खैर, अधिवक्ता संजय कुमार द्विवेदी, अबुल खैर सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन विपिन बिहारी श्रीवास्तव ने किया।