कुचायकोट का भसही तथा उसके आसपास के इलाके में पुलिस तथा ग्रामीणों के बीच भिड़त से आठ घंटे तक तनाव बना रहा है। हालांकि बाद में पुलिस ने ग्रामीणों को समझा बुझा कर बंधक बनाए गए कर्मियों को मुक्त कराकर माहौल को शांत करा दिया। लेकिन अगर पुलिस पहले ही संयम बरतती तो शायद धरना पर बैठे ग्रामीण नहीं भड़कते। बाढ़ रोधी कार्य में लगे कर्मियों के रवैये ने भी तनाव बढ़ाने में अपनी भूमिका निभाई।
गंडक नदी के कटाव की समस्या दियारा इलाके लिए सालों पुरानी है। हर साल गंडक नदी के कटाव के कारण दियारा इलाके में काफी क्षति पहुंचती है। इस बार पहले बाढ़ फिर पानी उतरने के बाद गंडक नदी का कटाव होने लगे। कुचायकोट के कालामटिहनिया पंचायत गंडक नदी के कटाव से सबसे अधिक प्रभावित है। कटाव के कारण इस पंचायत के तिवारी टोला के साथ ही भसही गांव का अस्तित्व भी मिट गया। ये दोंनो गांव नदी में समाहित हो चुके हैं। कटाव को देखते हुए दियारा के ग्रामीण काफी समय से कटाव रोधी कार्य में तेजी लाने की मांग करते आ रहे थे। कटाव रोधी कार्य में लापरवाही बरतने का ही आरोप लगाकर दियारा संघर्ष समिति के आह्वान पर ग्रामीणों ने भसही गांव के समीप बांध पर धरना देना शुरू किया था। बुधवार को धरना पर छठवां दिन था। धरना पर बैठने के बाद भी कटाव रोधी कार्य में तेजी नहीं आने से ग्रामीणों में रोष पहले से ही पनप रहा था। बुधवार को बिना मटेरियल के कटाव रोधी कार्य करते जेई तथा कर्मियों को देखकर ग्रामीणों का धैर्य जवाब दे दिया। हालांकि तब भी ग्रामीण यही चाहते थे कि जेई तथा कर्मी अपने वरीय पदाधिकारियों से बात कर पहले मटेरियल मंगाएं तथा उसके बाद कार्य करें। लेकिन ग्रामीणों के सवाल पर कर्मी उनसे उलझ गए। जिससे भड़के ग्रामीणों ने उन्हें बंधक बनाकर स्कूल के कमरे में बंद कर दिया था। कर्मियों के बंधक बनाने के बाद मौके पर पहुंचे बाढ़ नियंत्रण विभाग अवर प्रमंडल पदाधिकारी ग्रामीणों को समझाने बुझाने की जगह कर्मियों को छोड़ने पर जोर देने लगे थे। जिससे आक्रोशित ग्रामीणों ने उनसे मारपीट शुरू कर दिया था। प्रत्यदर्शियों की माने तो इस घटना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने एक युवक को पिटाई कर आग में घी डालने का काम कर दिया। युवक की पिटाई होते देख ग्रामीणों ने अपना संयम खो दिया तथा पुलिस पर पथराव करने लगे। प्रत्यादर्शियों की माने तो अगर मौके पर पहुंची पुलिस ने संयम बरतते हुए ग्रामीणों को समझाने बुझाने का प्रयास किया होता तो पथराव तक की नौबत नहीं पहुंचती। इस घटना के बाद मौके पर पहुंची कुचायकोट तथा जादोपुर थाना की पुलिस ने यही किया। उसने बल पूर्वक ग्रामीणों पर नियंत्रण पाने की जगह उन्हें समझा बुझाकर शांत करा दिया।