Gopalganj News: जिला प्रशाषन के नाक के निचे फल फूल रहा था अवैध शराब का धंधा।

Fri, 19August 2016

नगर थाना से महज दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित
खजूरबानी गांव में पुलिस की नाक के नीचे काफी समय से अवैध
शराब का धंधा फल फूल रहा था। शराब बंदी लागू होने के बाद तो
यह धंधा दिन दूनी रात चौगुनी की तर्ज पर फैलता चला गया।
खजूरबानी मोहल्ले में बनी जहरीली शराब पीने से 18 लोगों की
मौत के बाद हालांकि अब यह मोहल्ला पुलिस के निशाने पर आ
गया है। शराब पीने से लोगों की मौत होने के बाद सक्रिय हुई
पुलिस ने इस मोहल्ले में पुलिस ने छापामारी कर यहां के निवासी
छठु पासी, पप्पू पासी, संजय रंजन पासी, राजेश पासी, मनोज
पासी तथा प्रदीप पासी को गिरफ्ता कर लिया। अन्य
आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस का छापामारी
अभियान गुरुवार को भी पूरे दिन जारी रहा। नगर थाना क्षेत्र से
लेकर मांझा थाना क्षेत्र में कई ठिकानों पर पुलिस ने छापामारी
किया। इस बीच गिरफ्तार आरोपियों ने पुलिस के पूछताछ के
दौरान कई राज खोले हैं। सूत्र बताते हैं कि खजूरबानी में यहां के
निवासी नगीना चौधरी तथा लाल बाबू चौधरी की देखरेख में
शराब का कारोबार चल रहा था। मुख्य आरोपी नगीना चौधरी
कुछ समय पूर्व ही जेल से जमानत पर छूट कर बाहर आया था। सूत्र
बताते हैं कि खजूरबानी में सालों से शराब का अवैध कारोबार चल
रहा था। इस कारोबार से मुख्य आरोपी नगीना चौधरी खाक से
लखपति बन गया। सूत्रों की मानें तो पहले झोपड़ी में रहने वाला
नगीना चौधरी का अब पक्का मकान बन गया है। शराब बंदी लागू
होने के बाद तो यह धंधा और तेजी से फलने फूलने लगा। यहां दूर
दराज से नशे के शौकीन शराब पीने आने लगे थे। सूत्र बताते हैं कि
तीस से चालीस रुपया प्रति गिलास देसी शराब मिलने से यहां
शराब पीने आने वालों में मजदूर तबके के लोगों की संख्या काफी
अधिक होती थी। सूत्र बताते है कि यहां अवैध रूप से महुआ तथा
चावल से शराब बनाई जाती थी। सूत्रों की मानें तो शराबियों
का जमघट लगने से परेशान खजूरबानी मोहल्ले को लोगों पिछले दो
महीने से पुलिस को यहां की गतिविधियों के बारे में जानकारी दे
रह थे। लेकिन पुलिस ने लोगों से मिल रही इस जानकारी को कभी
भी गंभीरता से नहीं लिया। पुलिस तभी चेती जब यहां बनी
जहरीली शराब पीने से 18 लोगों की जानें चली गई।
और कई अन्य जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं।

रसूख के अनुसार पीने की थी व्यवस्था
खजूरबानी में शराब बनाने तथा पीने पिलाने के लिए
यहां आने वालों के रसूख का भी ख्याल रखा जाता था। लोगों के
रसूख के अनुसार उनके बैठने की व्यवस्था की गई थी। सूत्र बताते हैं
कि यहां कुछ वर्दी वालों से लेकर कुर्ता पाजामा वालों का भी
आना जाना लगा रहता था। यहां रसूख वालों को अलग कमरे में
बैठा कर शराब परोसी जाती थी। लेकिन शराब पीने के लिए यहां
सबसे अधिक रिक्शा चालक, ठेला चालक तथा मजदूरी करने वाले
आते थे। सूत्र बताते हैं कि इन्हें चालीस रुपया प्रति गिलास शराब
दी जाती थी तथा शराब पीने के बाद इन्हें वहां से सरका दिया
जाता था। सूत्रों की मानें तो खजूरबानी में खुलेआम शराब का
अवैध कारोबार चल रहा था। लेकिन अपने नाक के नीचे चल रहे इस
कारोबार की भनक पुलिस को कैसे नहीं लगी, इसको लेकर अब
लोगों के बीच सवाल उठने लगे हैं।

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