Fri, 29 July 2016
जिले के प्राथमिक व मध्य विद्यालयों के गुरुजी ने एमडीएम के चावल का खाली बोरा बेच कर विभाग में राशि नहीं जमा कराया है। अनुमान है कि चावल का बोरा बेच कर गुरुजी लोगों करोड़ों रुपया का चूना विभाग को लगा दिया है। इस बात का खुलासा तब हुआ जब आरटीआइ कार्यकर्ता महाताब आलम सिद्दिकी ने बैकुंठपुर प्रखंड के 154 विद्यालयों से आरटीआइ के तहत एमडीएम के चावल के खाली बोरे का 2003 से लेकर अब तक ब्योरा मांगा है। आरटीआइ से खाली बोरा का ब्यौरा मांगने के बाद विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। बताया जाता है कि वर्ष 2003 से 2004 तक स्कूलों में बच्चों के बीच खाने के लिए चावल का वितरण होता था। इसके बाद स्कूलों में एमडीएम बनने लगा। तब शिक्षा विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव अंजनी कुमार सिंह ने निर्देश दिया था कि चावल के खाली बोरा की बिक्री के बाद राशि को बिहार शिक्षा समिति के खाते में जमा करना है। इस राशि को विकास मद में खर्च करने के नियम भी बनाए गए थे। लेकिन तब से किसी ने खाली बोरा बेचने के बाद मिली राशि की तरफ ध्यान नहीं दिया। जिससे अनुमान है कि इस मद में विभाग को करोड़ो रुपये का चूना गुरुजी लोग लगा चुके हैं। इधर आरटीआइ से खाली बोरा का ब्यौरा मांगें जाने से उसका हिसाब कैसे देंगे, यह बड़ी समस्या बन गई है। आरटीआइ से खाली बोरा का हिसाब मांगने की जानकारी बीइओ ने बैठक में प्रधानाध्यापकों को दे दी है। इसके बाद से प्रधानाध्यापकों में बेचैनी बढ़ गई है। चावल के खाली बोरा का हिसाब देने में उनका पसीना छूट रहा है।
कहते हैं पदाधिकारी
विभाग का स्पष्ट आदेश है कि दस रुपया प्रति बोरा के हिसाब से एमडीएम के चावल का बोरा बेचकर राशि को विद्यालय शिक्षा समिति के खाते में जमा करना है। इसकी आडिट की जाएगी कि इस पैसा से विकास मद में क्या काम किया गया। गड़बड़ी मिलने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
अब्दुस सलाम, डीपीओ एमडीएम।