Thu, 14 Apr 2016
गर्मी बढ़ने के साथ ही अब चौक-चौराहों पर सत्तू की दुकानें सज गयी हैं। राह चलते राहगीरों की भीड़ भी गला तर करने के लिए इन दुकानों पर जुटने लगी है। लेकिन गर्मी से राहत पाने के लिए सत्तू पीने से पहले उसकी रंगत जरुर देख लें। अगर बिना सत्तू को परखे इसे गटक लिया, तो बीमार पड़ना भी तय है। जगह-जगह दुकानें सजने और मांग बढ़ने के साथ ही सत्तू में मिलावट का सिलसिला भी शुरू हो गया है। चने की सत्तू में मटर, खेसारी और यहां तक की गेहूं की भी मिलावट की जा रही है। गुरुवार को सत्तू में मिलावट का कुछ ऐसा ही मामला अधिवक्ता नगर के सतीश प्रसाद को देखने को मिला। वे बताते हैं कि गर्मी महसूस हुई तो कचहरी के पास एक सत्तू की दुकान पर चले गए। लेकिन सत्तू का रंग सफेद देख दुकानदार से पूछा तो उसका जबाव सुन वे खुद चक्कर में पड़ गए। वे बताते हैं कि रंग के बारे में पूछने पर दुकानदार ने कहा कि साहब धूप में रखने के कारण इसका रंग उड़ गया है। हालांकि सतीश प्रसाद ने मिलावटी सत्तू का शक होने पर उसे पीना उचित नहीं समझा। लेकिन अधिकांश लोगों के हलक में गेहूं, मटर, मक्का की मिलावट करके तैयार सत्तू पहुंच रही है। मिलावटी सत्तू का एहसास उन्हें तब होता है जब फायदा की जगह सत्तू नुकसान करने लगती है। मिलावटी सत्तू पीने का नतीजा भुगत चुके दिवाकर सिंह, उमेश तिवारी, अखिलेश प्रसाद कहते हैं कि सत्तू पीकर जब कुछ समय बाद घर पहुंचे तो उल्टी और लू-मोशन शुरू हो गया। इन्हें मिलावटी सत्तू पीने के बाद ओआरएस का घोल भी पीना पड़ा।