Gopalganj News: गौरा राम-जानकी मठिया में उमड़े श्रद्धालु

प्रखंड के रामजानकी मंदिर गौरा पूरब मठिया में अनंत श्रीविभूषित सिद्धसंत बाबा विश्वंभर दासजी महाराज की अध्यक्षता में चल रहे गायत्री पुरश्चरण महायज्ञ में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही। इस दौरान आचार्य चंद्रभान मिश्र, आचार्य पंकज शुक्ल, आचार्य धमेंद्र शुक्ल, आचार्य हरेंद्र पाण्डेय तथा आचार्य मुरलीधर मिश्र के नेतृत्व में मंत्र जात के साथ निरंतर हवन भी जारी रहा। इस बीच व्यासपीठ पर कथा व्यास श्री श्री 1008 श्री रामानन्दाचार्य जी के पधारने पर शास्त्रीय संगीत गायक बलराम दुबे ने वर दे वीणावादिनी गाकर मां सरस्वती का आह्वान किया कि वे श्रोताओं को निर्मल मति दें। जिससे वे कथा श्रवण्ध कर सार ग्रहण कर सकें। महाराज अनंत श्रीविभूषित बाबा ने स्वयं चंदन तिलक लगाकर कर धौत वस्त्र, अंग वस्त्रम व पुष्पमाल से कथा व्यास को समादृत किया। ब्रह्ममचारी अधर्ेंन्दु, सेवानिवृत मुख्य अभियंता ब्रजेश कुमार मिश्र, सेवानिवृत प्रधानाचार्य विजय शंकर पाण्डेय, जितेंद्र दुबे, शंभू दुबे तथा भीष्म सिंह ने भी कथा व्यास का पूजन वंदना किया। मंगलाचरण से कथा का प्रारंभ करते हुए महाराज जी ने भक्ति की व्याख्या करते हुए बताया कि भक्ति भजन से प्रारंभ होती है और वह मल आवरण का विक्षेप का भर्जन करती है। ज्ञान वैराग्य का भर्जन कर अनाशक्ति प्रदान करती है तो मनुष्य चंपक वन में चंचरीक की भांति बिहार करता है। भागवत कथा के प्रथम वक्ता शुकदेव जी के जन्म की कथा बताते हुए उन्होंने कहा कि अमरनाथ की गुफा में जब भगवान शंकर मां पार्वती को अमर कथा सुना रहे थे। वहां शुक के अंडे के रूप में कथा सुन सद्यजात उस शुक को भगवान ने वध करने के लिए पीछा किया तो वह वेद व्यासजी की पत्‍‌नी के मुंह में प्रवेश कर गया। वहीं दिव्य ज्ञान संपन्न शुक भगवान कृष्ण के वरदान से माया के बंधन से मुक्त होकर जन्म ग्रहण किया। उन्हीं शुकदेव मुनि की कहीं यह कथा मनुष्य को माया के बंधनों से मुक्ति दिलाती है। कथा के समापन के उपरांत रसो वै स: की प्रत्यक्ष अनुभूति कराने वाली रासलीला की प्रस्तुति वृंदावन से पधारे श्रीराम शर्मा की मंडली ने किया। इस दौरान सदाव्रत भंडारा चलता रहा। जिसका प्रबंधन व संचालन ब्रह्ममचारी अर्धेन्दु, ब्रह्ममचारी सर्वेश तथा ग्रामीण गिरीश तिवारी, नरेंद्र तिवारी, दीपक मिश्र, जितेंद्र तिवारी, ओम प्रकाश तिवारी आदि ने किया।

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