सरकार ने तो व्यवस्था बनाया था कि किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिले। इसके लिए पैक्स व व्यापार मंडल के माध्यम से धान क्रय का का कार्य प्रारंभ करने के निर्देश जारी किये गये। लेकिन यहां धान क्रय अब भी व्यवस्था के पेंच में फंसा हुआ है। धान क्रय शुरु होने के 60 दिन बीतने के बाद भी यहां महज 1656 मीट्रिक टन ही धान की खरीद हो सकी है। विभाग के कड़े निर्देश के बाद भी तीन प्रखंड में एक किलोग्राम भी धान क्रय नहीं हो सका है। यह स्थिति तब है जबकि धान क्रय तेजी से करने के लिए जिला आपूर्ति पदाधिकारी के नेतृत्व में बकायदा एक कमेटी कार्य कर रही है।
यहां व्यवस्था के पेंच में फंसी धान खरीद की व्यवस्था को देखकर ऐसा लगता है कि किसानों को अभी उनकी मेहनत का मोल नहीं मिल सकेगा। जिले सहित प्रदेश का पेट भर सके, इसके लिए किसान कड़ी मेहनत कर हर साल फसलों की पैदावार बढ़ाने में पसीना बहा रहे हैं। लेकिन जब मौका फसल बेचने का आता है तब सरकारी एजेंसियां उदासीन हो जाती हैं। इसी उदासीनता का नमूना है कि जिले के किसी भी पैक्स या व्यापार मंडल से धान का क्रय के अभियान में सुस्ती। ऐसे में इस साल किसान धान बेंचने को दर-दर भटक रहे हैं। किसानों की उपेक्षा का आलम यह है कि धान क्रय का कार्य महज कुछ केन्द्रों तक ही सिमट कर रह गया है। किसान पैसों की जरुरत को देखते हुए कड़ी मेहनत के बाद उपजाये गये धान को खुले बाजार में सस्ते दर पर बेचने को विवश हो गये हैं। आंकड़ों की मानें तो गत दिसम्बर माह से प्रारंभ हुए धान क्रय अभियान के तहत कार्यरत 162 पैक्स में से महज 80 को ही कैश क्रेडिट की सुविधा कोआपरेटिव बैंक ने उपलब्ध कराया है। ऐसे में राशि की कमी भी धान का क्रय नहीं हो पाने में एक बड़ी बाधा है। सहकारिता विभाग के आंकड़ों की मानें तो अबतक महज 245 किसानों से 1656 एमटी धान का क्रय करने के बाद उन्हें 92.06 लाख की राशि का भुगतान किया जा चुका है।
क्या है सरकारी दर
धान की सरकारी स्तर पर खरीद के लिए बकायदा दर निर्धारित कर दिया गया है। लेकिन इस दर पर किसानों का धान खरीदने को बाजार में कोई तैयार नहीं है। सरकारी आंकड़ों की मानें तो इस साल साधारण धान के लिए सरकार ने 1410 रुपये तथा ए ग्रेड की धान के लिए 1450 रुपये प्रति क्विंटल का दर निर्धारित किया गया है। इसके अलावा बिहार सरकार ने प्रति क्विंटल किसानों को तीन सौ रुपये का बोनस देने की भी घोषणा की है। लेकिन जिले में बोनस के संबंध में कोई भी दिशा निर्देश उपलब्ध नहीं है। आलम यह कि यहां के किसान 1100 रुपये से लेकर 1150 रुपये प्रति क्विंटल की दर से व्यापारियों को धान बेंचने को विवश हैं।
क्या कहते हैं किसान
क्रय केन्द्रों पर धान की खरीद शुरु नहीं किये जाने से किसान नाराज हैं। धान क्रय की व्यवस्था सही तरीके से शुरु नहीं होने से इस योजना के लाभ से किसान वंचित हैं।
162 पैक्स के माध्यम से होना है धान क्रय
आधिकारिक सूत्रों की मानें तो वर्तमान वित्तीय वर्ष में जिले में स्थित 234 में से 162 पैक्स ही धान क्रय कर रहे हैं। इसके अलावा व्यापार मंडल के 12 तथा एफसीआई के दो केन्द्र भी धान की खरीद करेंगे। जिला प्रशासन ने इन केन्द्रों के माध्यम से धान क्रय का कार्य शुरु करने की बात कह रहा है। लेकिन यहां धान का क्रय अबतक शुरू नहीं हो सका है।
क्या है धान खरीद का लक्ष्य
* जिले का कुल लक्ष्य 76000 मीट्रिक टन।
* पैक्स व व्यापार मंडल का लक्ष्य 60000 मीट्रिक टन।
* एफसीआई का लक्ष्य 16000 मीट्रिक टन।
कहते हैं अधिकारी
धान क्रय का कार्य तेजी से करने का निर्देश दिया गया है। अभी तक तीन प्रखंड में धान क्रय प्रारंभ नहीं होने की सूचना है। संबंधित प्रखंडों को स्थिति में सुधार के लिए निर्देश जारी गया है। धान क्रय कार्य का प्रतिदिन अनुश्रवण किया जा रहा है। साथ ही जिला स्तर पर इसके लिए कंट्रोल रूम बनाया गया है।
कृष्ण मोहन प्रसाद
जिला आपूर्ति पदाधिकारी