अब गेस व गाइड के सहारे परीक्षा की तैयारी

स्कूल कालेजों में जाकर पढ़ना व नोट्स बनाना तो अब बीते जमाने की बात हो गयी है। स्कूलों व कालेजों में शिक्षकों की कमी एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है। ऐसे में कुछ छात्र-छात्राएं कोचिंग के भरोसे नैया को पार लगाने की फिराक में हैं तो कुछ गाइड के सहारे 10वीं तथा 12वीं की परीक्षा को पास करने की जुगत में लगे हैं। हालत यहां तक आ गयी है कि जिले में अब किताबों के मुकाबले गाइड, गेस तथा सेंपल पेपरों की बिक्री तीन गुना अधिक हो रही है।

वैसे अभिभावक तो बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन स्कूलों व कालेजों में पढ़ाई नहीं होना छात्रों पर भारी पड़ रही है। स्थिति यह है कि विद्यालयों में पठना पाठन का माहौल सुधारने के लिए किये जा रहे प्रशासनिक प्रयास भी कारगर साबित नहीं हो रहे हैं। पदाधिकारियों के आकस्मिक निरीक्षण का अब कोई भी असर नहीं दिख रहा। सही सही कसर स्कूलों के अवकाश तथा हड़ताल पूरी कर देते हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो साल के 365 दिन में से 137 दिन तो रविवार, ग्रीष्मावकाश तथा पर्व त्योहारों में निकल जाते हैं। शेष बचे 227 दिन में कभी हड़ताल, कभी चुनाव, कभी प्रशिक्षण तो कभी सर्वेक्षण के कार्य भी शिक्षक शामिल रहते हैं। अगर कुछ समय बच गया तो गुरुजी का समय संगठन के कार्यो के अलावा प्रमंडलीय व राज्य स्तरीय सम्मेलनों में भाग लेने में बीत जाते हैं। ऐसे में अब परीक्षा पास करने के लिए गाइड व गेस पेपर ही छात्रों के लिए सहारा बनता जा रहा है। बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र सिलेबस पूरा नहीं होने से कोचिंग सेंटरों से लेकर बाजार में बिक रहे गाइड, गेस, क्वेश्चन बैंक, सेंपल पेपर, माडल सेट तथा आनन्द एटम बम का सहारा ले रहे हैं। पुस्तकों की बिक्री के आंकड़ों पर गौर करें तो इस साल विभिन्न प्रकाशनों के गाइड की बिक्री तीन गुना बढ़ गयी है।

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