अब 'सांसत' में फंसे 'वोट' के ठेकेदार

मतदान के बाद शुरू हुआ आंकड़ों का गणित अब बूथ स्तर तक पहुंच गया है। कांटे की टक्कर में फंसे प्रत्याशी इलाकाई गणित लगाने के बाद अब बूथ स्तर पर पड़े वोटों को आंक रहे हैं। जिससे बूथ स्तरीय एजेंट परेशान हैं तो वोट के इलाकाई ठेकेदार भी सांसत में फंस गए हैं।

मतदान के ठीक बाद प्रत्याशी किस इलाके में कितने वोट पड़े हैं, इसका गणित लगाने लगे थे। तब इलाकाई वोट के ठेकेदारों ने अपने-अपने प्रत्याशी को उसके पक्ष में गिरे वोट को बढ़-चढ़ कर बताने का खेल शुरू किया। जिससे स्थिति ऐसी बन गयी कि एक-एक विधानसभा क्षेत्र में दो तो कहीं तीन प्रत्याशी की जीत पक्की दिखने लगी। लेकिन पक्ष और विपक्ष दोनों खेमे में खुशी का माहौल देख असंमजस में फंसे प्रत्याशी आंकड़ों की गणित को अब खुद आंकने लगे हैं। इलाकाई स्तर से होते हुए अब मामला बूथ स्तर तक पहुंच गया है। कांटे की टक्कर में फंसे प्रत्याशी अपने-अपने बूथ एजेंटो से वहां पड़े वोटों का हिसाब ले रहे हैं। जिससे बूथ एजेंटों की परेशानी तो बढ़ ही गयी है, सबसे अधिक सांसत में इलाकाई वोट के ठेकेदार फंस गए हैं। अगर बूथ एजेंटो के आंकलन से पक्ष में मिले वोट का पेंच फंसा, तो खामियाजा इलाकाई ठेकेदारों को ही उठानी पड़ेगी। ऐसी स्थिति में अफवाहों का दौर भी शुरू हो गया है। किसने मन से साथ दिया और किसने धोखा दिया, अब इसको लेकर भी चर्चा का बाजार गरम हो गया है। चर्चा भी ऐसी कि बात सीधे प्रत्याशियों के कानों तक पहुंचने लगी है। जिससे वोट आंकने में लगे प्रत्याशी खुद आंकड़ों की गणित में उलझ कर रहे गए हैं।

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