ठेंगे पर कानून, सड़क पर सजीं पटाखा की दुकानें

पूरे जिले में दीपावली की तैयारियां जोरों पर है। दीपावली के मौसम में पटाखों की बिक्री भी धीरे-धीरे गति पकड़ने लगी है। दुकानें भी सजने लगी हैं। लेकिन किसी भी पटाखे की दुकान में पटाखा बेचने के नियमों का अनुपालन नहीं हो रहा है। हद तो यह कि शहर के अत्यधिक भीड़-भाड़ वाले इलाकों में भी दुकानें खुल रही हैं और इस ओर प्रशासन का नजर भी नहीं है। ऐसे में हरेक पल संभावित दुर्घटना की आशंका भी बढ़ती जा रही है।
दीपावली को लेकर गोपालगंज से लेकर बरौली, मीरगंज तथा कटेया जैसे शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण बाजारों में पटाखों की दुकानें काफी संख्या में लगायी जाती हैं। लेकिन विभाग के आंकड़ों को मानें तो पूरे जिले में करीब चार दर्जन दुकानों को ही अबतक पटाखा बेचने के लिए लाइसेंस विभागीय स्तर पर निर्गत किया गया है। वैसे पूरे जिले में पटाखा की पांच सौ से भी अधिक दुकानें दीपावली पर्व के दौरान खुल जाती हैं। वर्तमान समय में ही जबकि दीपावली में तीन दिन का समय शेष है, जिले में सौ से अधिक दुकानें खुल चुकी हैं। लेकिन किसी भी दुकान पर एक भी नियम का सख्ती से अनुपालन होता नहीं दिख रहा है।

क्या है नियम
 पटाखे की दुकान खोलने तथा पटाखा रखने के लिए सर्वप्रथम उसे भीड़-भाड़ वाले इलाके से बाहर रखना है। इसके साथ ही हरेक दुकान के लिए अग्निशमन यंत्र रखना अनिवार्य है। ताकि संभावित दुर्घटना से बचा जा सके। हरेक दुकान या गोदाम के लिए इस बात का भी निर्देश है कि अत्यधिक आवाज करने वाले पटाखे या खतरनाक पटाखे नहीं रखे जाएं। इसके अलावा पटाखा बेचने वाले प्रत्येक दुकानदार को स्थायी या अस्थायी तौर पर लाइसेंस भी प्राप्त करना है, अन्यथा ऐसे दुकानदार के पकड़े जाने पर उसपर कानूनी कार्रवाई करने का प्रावधान एक्ट में किया गया है।

कितना होता है नियमों का पालन
 पटाखा बेचने या उसके भंडारण के लिए सरकारी स्तर पर नियम बनाए तो गए हैं, लेकिन उनका अक्षरश: पालन शायद ही किसी दुकान पर होता है। हद तो यह कि किसी भी पटाखे की दुकान पर अग्निशमन यंत्र नहीं दिखता। जबकि नियमों के अनुसार हरेक दुकान या गोदाम में इसे आवश्यक रूप से लगवाना है। इसके अलावा भीड़-भाड़ वाले चौक-चौराहों पर धड़ल्ले से इसकी बिक्री होती है।

नहीं होती कार्रवाई
 दुकानदार या पटाखे के भंडारण वाले स्थानों पर नियमों का उल्लंघन तो प्रत्येक वर्ष दीपावली के दौरान होता है। लेकिन किसी भी दुकान पर पिछले एक दशक में कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है। आंकड़े गवाह हैं कि प्रशासन हरेक दीपावली में पटाखा दुकानदारों की ओर से मुंह मोड़ लेता है।

खतरे की आशंका
 नियमों की अनदेखी होने के कारण खासतौर पर शहरी इलाकों में हमेशा बड़ी दुर्घटना या खतरे की आशंका बनी रहती है। इस बात को अधिकारी भी स्वीकार करते हैं। लेकिन इसके बाद भी पटाखे की बिक्री में नियमों की अनदेखी का कार्य लगातार जारी है।

कितने को मिला लाइसेंस
 सूत्रों की मानें तो पटाखे की बिक्री के लिए गोपालगंज अनुमंडल में केवल 20 लोगों को ही लाइसेंस मिला हुआ है। जबकि हथुआ अनुमंडल में कुल 38 लोगों को पटाखा बिक्री का लाइसेंस प्राप्त है। थावे, फुलवरिया, हथुआ, जलालपुर, कोईनी, बढ़ेया, महम्मदपुर, दिघवा दुबौली, मांझा, सिधवलिया, पंचदेवरी, भोरे, हुस्सेपुर, लाइन बाजार तथा जादोपुर बाजार सहित दर्जनों बाजारों में पटाखा बेचने के लिए अधिकांश दुकानदारों के पास कोई भी लाइसेंस प्राप्त नहीं है।

प्रशासन ने लगाया है बगैर लाइसेंस बिक्री पर रोक
 प्रशासनिक स्तर पर बगैर लाइसेंस के पटाखे की बिक्री पर पूर्ण रूप से रोक लगा रखा है। जिलाधिकारी राहुल कुमार ने इस संबंध में दोनों अनुमंडल के एसडीओ के दिशानिर्देश जारी किया है। साथ ही बगैर लाइसेंस पटाखा बेचने वालों पर विहित प्रक्रिया के तहत कार्रवाई का भी निर्देश जारी किया गया है।

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