Wed, 10 May 2017 03:00 PM (IST)
गोपालगंज के पंकज त्रिपाठी जिनके पिता एक मामूली किसान हैं, उन्होंने गोपालगंज के बेलसंड गांव से बॉलीवुड तक का सफर तय किया जो काफी संघर्षपूर्ण रहा। उन्हें अंग्रेजी नहीं आती थी और इसे लेकर वो बहुत ही कांप्लेक्स में रहते थे। एक्टिंग के दौर में उन्होंने होटल में भी काम किया।
10th तक पता नहीं था फिल्में क्या होती हैं?
पंकज त्रिपाठी एक ऐसे अभिनेता हैं जिन्हें 10वीं तक यह तक पता नहीं था कि फिल्में क्या होती है। वे 11वीं तक खेती करते थे। वे बचपन में छठ पूजा के दौरान नाटक में लड़की बना करते थे। नाटक के दौरान जब उन्हें देख लोग तालियां बजाते थे तो उन्हें अच्छा लगता था।
अंग्रेजी नही आती थी, होटल में भी काम किया
एक दिन अचानक उनके मन में ख्याल आया कि एक्टिंग में करियर बनाया जाए। फिर ये बात उन्होंने अपने पिता को बताई तो उन्होंने कहा कि कमा-खा लोगे ना? पिता के इतना कहने के बाद वे दिल्ली एनएसडी पहुंचे थे।
पंकज त्रिपाठी जब एक्टिंग सीखने के लिए एनएसडी पहुंचे थे, तो देखा कि वहां के सब स्टूडेंट अंग्रेजी बोलते हैं। उन्हें अंग्रेजी आती नहीं थी तो लगा कि एक्टिंग छोड़ दूं। लेकिन जब एक्टिंग क्लास में उनकी तारीफ हुई तो उन्हें अच्छा लगने लगा।
पंकज को अपने रोल की लंबाई से कोई फर्क नहीं पड़ता
जिसे रोल की लंबाई से कोई फर्क नहीं पड़ता। वह आते हैं, अपने किरदार को शिद्दत से निभाते हैं और अपनी छाप दर्शकों के दिलों पर छोड़ जाते हैं। चाहे वह गैंग्स ऑफ वासेपुर का सुल्तान कुरेशी हो, या फुकरे का पंडित जी, उन्होंने हर किरदार को रुपहले पर्दे पर जीवंत कर दिया है।
कई फिल्मों में एक्टिंग का मनवा चुके हैं लोहा
हिंदी सिनेमा में विलेन से कॉमेडियन के उनके किरदार काफी सराहनीय रहा है। उन्होंने फुकरे, मशान, रन, गैंग ऑफ ग्यासेपुर, ओंकारा, गुंडे, मंजिल, ग्लोबल बाबा, नील बटा सन्नाटा, धर्म और मांझी द माउंटेन मैन सहित कई सुपर हिट फिल्मों में एक्टिंग की है।
ऐसे मिली थी गैंग्स ऑफ वासेपुर
पंकज ने बताया कि गांव में पक्की सड़क नहीं है। गांव से 20 किलोमीटर दूर एकमात्र सिनेमा हॉल है। गैंग्स ऑफ वासेपुर में एक्टिंग के सवाल पर उन्होंने बताया कि जब वे इस फिल्म के लिए ऑडिशन देने गए तो कास्टिंग डायरेक्टर ने उनसे पूछा- दो लाइन बोल लोगे ना!
वे पिछले 14 साल से एक्टिंग कर रहे थे। लेकिन कास्टिंग डायरेक्टर के इस सवाल पर उनका ईगो हर्ट हो गया और वे वहां से लौट गए। इसके बाद वे अनुराग कश्यप से मिले। उन्होंने भी करीब 15 लोगों के सामने कई डायलॉग बुलवाए। तब जाकर वे गैंग्स ऑफ वासेपुर में सुल्तान बने।