थावे महोत्सव में घुले हर रंग

Wed, 05April 2017
थावे के होमगार्ड मैदान में थावे महोत्सव के दूसरे दिन मंगलवार को देश के जाने माने कलाकारों के साथ स्थानीय कलाकारों ने भी अपनी प्रतिभा का रंग बिखेरा। इस दौरान राज्य स्तरीय युवा महोत्सव में पुरस्कृत कलाकारों को सम्मानित भी किया गया।
थावे महोत्सव के दूसरे दिन के कार्यक्रम की शुरुआत उप विकास आयुक्त ने राज्य स्तरीय महोत्सव में पुरस्कृत स्थानीय कलाकारों को सम्मानित कर किया, जिसमें सत्येंद्र प्रसाद, किशन कुमार, ऋषि कुमार, अतुल कुमार, रवि कुमार आदि शामिल रहे। सम्मानित होने के बाद स्थानीय कलाकारों ने मंच संभाला। स्थानीय कलाकार प्राजंल गिरी ने बांसुरी की धुन पर यमन राग बिखेर कर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। लोक कलाकार अनुराग मिश्र ने चैता गीत गाकर माहौल में लोक परंपरा का रस घोल दिया। उनके चैता गीत सुतल सैया के जगावे हो रामा, मीठी तोहार बोलिया., लोग झूम उठे। स्थानीय सुहाना ग्रुप के कलाकारों ने निमिया के डाल मइया डाले ली आसनवां.., गीत से महौल में भक्ति कर रस घोल दिया। इस ग्रुप के कलाकारों ने जय काली कलकता वाली, जय काली थावे वाले सहित कई भक्ति गीत से लोगों का मन मोह लिया।
कत्थक नृत्य पर झूमे दर्शक
 स्थानीय कलाकारों के बाद दिल्ली से आईं प्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना शालु श्रीवास्तव ने मंच को संभाला। इन्होंने गणेश वंदना गीत के साथ अपने कार्यक्रम का आगाज किया। इसके बाद तो इनकी हर प्रस्तुति पर लोग मंत्र मुग्ध होते चले गए। शालु श्रीवास्तव की कर अदा दर्शकों को लुभाती चली गई। इस दौरान बीच बीच में दर्शन तालियां बजाकर उनका उत्साह बढ़ाते रहे। लखनऊ घराने के पंडित राममोहन महाराज की शिष्या भोपाल निवासी शालु श्रीवास्तव ने जाकि महिला है सुखदायी तथा जय जय राधे कृष्ण हरे-हरे गीत पर कृत्थक नृत्य पेश कर माहौल में भक्ति कर रस घोल दिया। कत्थक नृत्य के साथ- साथ थावे महोत्सव का कार्यक्रम भी आगे बढ़ता रहा।
थावे महोत्सव में सोमवार की देर रात तक श्रोता कलाकारों की हर प्रस्तुति पर झूमते रहे। थावे महोत्सव के उद्घाटन कार्यक्रम के बाद सोमवार की रात नौ बजे भोजपुरी गायिका चंदन तिवारी तथा प्ले बैक ¨सगर तोची रैना ने मंच संभाला। इसके बाद महोत्सव में समां बंधती गई और जैसे-जैसे रात बढ़ती गई गीतों के बोल बदलते गए।
थावे महोत्सव के भव्य मंच पर आए
भोजपुरी गायिका चंदन तिवारी ने नीमियां के डार मइया झूलेली झुलुअवा. गीत से अपने कार्यक्रम की शुरुआत किया। इसके बाद तो उन्होंने गीतों का ऐसा रंग घोला की लोग उसमें डुबकी लगाते चले गए। उनके गीत टूटे न चरखा के तार, चरखा चालू रहे. पर श्रोता झूम उठे। उनके गीत झुलनी का रंग सांचा, हमार पिया.., पर खूब तालियां बजी। चंदना तिवारी के गीत ए बबूआ करिखा लगाइ ल, फिर ने आई इ जवानी.., पर पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इनके बाद प्ले बैक ¨सगर तोची रैना ने मंच संभाला। इन्होंने अपने कार्यक्रम की शुरुआत गणेश वंदना गीत से की। इसके बाद तो इनके हर गीत पर माहौल का रंग बदलता चला गया। लोग गीतों की सुर लहरी में गोता लगाते चले गए। तोची रैना के गीत गल मीठी मीठी बोल. पर श्रोता भी सुर से सुर मिलाते रहे। इनके गीत रूह का बंजारा, रे प¨रदा छड़ गया., पर श्रोता वाह-वाह कह उठे। रामजी करो रे बेड़ा पार. गीत से तोची रैना ने माहौल में भक्ति का रस घोल दिया। इसी के साथ गीतों का कारवां आगे बढ़ता गया और गीतों का लय और बोल भी बदलता रहा। तोची रैना ने भोजपुरी गीत जब लगाए लू तू लिपिस्टिक., पर महोत्सव में मौजूद युवाओं ने जमकर तालियां बजाई। इसके पूर्व नृत्यांगना नीलम चौधरी ने मां दुर्गा पर आधारित नृत्य नाटिका प्रस्तुत किया। इनकी जीवंत प्रस्तुति से पूरे माहौल में भक्ति का रस घुलता चला गया। मंत्र मुग्ध दर्शक नृत्य नाटिका के पात्र में खोते चले गए।

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