भले की बिहार में पंचायत चुनाव अप्रैल में होना है, लेकिन तैयारियां न सिर्फ प्रशासनिक स्तर पर, बल्कि पंचायतों में भी तेज हो गयी है. इस बार पंचायतों का आरक्षण रोस्टर के अनुरूप बदलना है. बदलनेवाले आरक्षण ने मुखियाजी की बेचैनी बढ़ा दी है. सामान्य कोटि के मुखिया पद पर इस बार दलित महादलितों के लिए आरक्षित हो सकता है,
तो आरक्षित सीटें सामान्य कोटे में जा सकती है. आरक्षण रोस्टर में तो इस बार महिला सीट सामान्य पुरुष को हो सकती है. सामान्य पुरुष की सीट महिला कोटे में जा सकती है. पिछड़ा वर्ग की सीट दलितों के लिए आरक्षित हो सकती है.
यानी सभी सीटों का आरक्षण बदल जायेगा. सिर्फ मुखिया का ही नहीं बल्कि वार्ड सदस्य, सरपंच, पंच, बीडीसी सदस्य, जिला पार्षद के पद भी इस आरक्षण के दायरे में हैं. इस बार प्रखंड में हो रहे रोस्टर तैयार करने के दौरान ही मुखिया जी ही नहीं बल्कि प्रखंड प्रमुख की तैयारी में जुटे बीडीसी सदस्य भी अपनी सेटिंग मे जुटे हुए हैं.
पैरवी प्रखंड से लेकर जिला पंचायत कार्यालय, विभागीय मंत्री तक भिड़ायी जा रही है. कौन कितना सेटिंग में सफल होगा यह तो बाद की बात है, लेकिन सेटिंग का खेल ऊपर से नीचे तक शुरू हो गया है. इस बार के पंचायत चुनाव में युवाओं के भाग्य अजमाने की चर्चा है. इस बार युवाओं के पंचायत चुनाव में उतरने की तैयारी से पंचायतों का स्वरूप बदलने की संभावना है.