पंचायती राज व्यवस्था में पद तो मिले ही भले कद और पैसा मिले ना मिले. ऐसी स्थिति में बहुत से जनप्रतिनिधियों को मेहनत मजदूरी कर अपने पेट पालने पड़ रहे है. सरकार ने वेतन निर्धारित करने की बात कही थी लेकिन गांव के न्यायाधीश का एवं ग्राम कचहरी में कुछ को छोड़ कर बाकी के वेतन निर्धारित नहीं होने के कारण उन्हें अपने परिवार का पालन – पोषण करने के लिये अलग-अलग धंधे अपनाकर परवरिश करना पड़ रहा है.
कारण यह है कि जनता वार्ड, पंच, मुखिया, सरपंच, बीडीसी, विधायक तथा सांसद सबको चुनती है. लेकिन सरकार के द्वारा विधायक तथा सांसद एंव कुछ अन्य प्रतिनिधियों को वेतन तो दी जाती है, लेकिन पंचायत स्तर के निर्वाचित के ऐसे भी जनप्रतिनिधियों को वेतन नहीं मिलने के कारण अपने परिवार लिए अन्य धंधा करने पर विवश हैं.
ऐसा ही कुछ नजारा है, बथुआ पंचायत के ग्राम कचहरी के सरपंच की जो आज भी गांवों में कचहरी लगाने के बाद स्नातक की डिग्री रहने के बाद भी सरपंच रामप्रवेश शर्मा साइकिल रिपेयरिंग कर बच्चों का पेट पाल रहे है. स्नातकधारी होने के बावजूद नौकरी नहीं मिलने पर जनता की सेवा करने के उद्देश्य से पंचायत चुनाव 2016 में चुनाव लड़े और निर्वाचित भी हुए. उसके बाद अपने पद का निर्वहन करते हुए विवादित मामले का निष्पादन निस्वार्थ करने लगे परंतु सरकार के द्वारा वेतन निर्धारित नहीं रहने के कारण अपने परिवार की परिवरिश करने के लिए धर्मपरसा बाजार में साईकिल का दुकान खोलकर साइकिल का पंचर बनाने से लेकर रिंग सीधा करने से लेकर साइकिल की मरम्मती का कार्य अच्छे ढंग से करते रहे.
इसके साथ-साथ जनता की साइकिल बना कर जनता को भी आकर्षित करने में माहिर हैं. वहीं दूसरी तरफ सप्ताह में रविवार को बथुआ पंचायत भवन पर ग्राम कचहरी में विवादित मामलों का निष्पादन भी करते हैं. ग्राम कचहरी के अनुसार दर्ज 18 मामलों में से 16 का निष्पादन 1 वर्ष में कर चुके हैं. मौखिक रूप से इन्होंने 70 मामलों का निष्पादन अभी तक किया है. जो की जमीनी विवाद से लेकर मारपीट तक जुड़ी है. आपसी विवाद सहित अन्य मामलों का भी निष्पादन उन्होंने बड़ी ही तन्मयता से की है.
गोपालगंज.ओआरजी की टीम से उन्होंने बताया कि मेरी योग्यता स्नातक है, लेकिन मैं कभी भी अपनी योग्यता और पद पर अभिमान नहीं करता. वे कहते है कि कोई काम छोटा-बड़ा नहीं होता है. सिर्फ अपनी समझ छोटी बड़ी होती है. यह समझ कर मैं पंचर बनाने से लेकर साइकिल रिपेयरिंग कर अपने परिवार का पालन पोषण करने के साथ-साथ समाज सेवा का काम भी निष्ठापूर्वक तथा ईमानदारीपूर्वक करता हूं.